धनतेरस पर इस विधि-विधान से करें पूजा, खुल जाएगा आपका भाग्य
कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि और शुक्रवार का दिन है और द्वादशी तिथि शाम 07 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. ऐसे में धनतेरस इस साल 25 अक्टूबर को है और धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैया दूज का पर्व मनाते हैं. कहा जाता है धनतेरस के दिन 13 दिये जलाये जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं धनतेरस की पूजा विधि.
धनतेरस पर खरीददारी करने के शुभ मुहूर्त –
धनतेरस के दिन सूर्योदय से लेकर सुबह 10:40 मिनट तक
दोपहर 12:05 से दोपहर 02:53 मिनट तक
शाम 04:17 मिनट से शाम 05:42 मिनट तक
रात 9 बजे से रात 10:30 तक धनतेरस की खरीददारी करें
ऐसे करें धनतेरस के दिन पूजा – इसके लिए धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. अब हर दिन के जैसे पूजा करें इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें, लेकिन ध्यान रहें कि जब आप भगवान की मूर्ति स्थापित कर रहें हो, तो आपका मुख पूर्व की तरफ पड़े. अब इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य.
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं.
आवाहन करने के बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं और इसके बाद भगवान को गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं. अब चांदी या फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं और भोग के बाद फिर आचमन करें इसके बाद उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं.भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें और शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें.
अब रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्.
अब अंत में भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें.