करीमनगर। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा भारत के धर्मनिरपेक्ष आदर्श के लिए खतरा हैं और उन्होंने लोगों को सांप्रदायिक ताकतों के प्रति सचेत किया। यह दावा करते हुए कि कांग्रेस को छोड़ और किसी के लिए भी तेलंगाना का गठन संभव नहीं था सोनिया गांधी ने लोगों से उज्ज्वल भविष्य और शांति एवं सामाजिक न्याय के साथ विकास के लिए कांग्रेस को वोट देने की अपील की। उत्तरी तेलंगाना के इस कस्बे में चुनाव सभा को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा कि महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानियों का धर्मनिरपेक्षता में विश्वास था और इंदिरा गांधी व राजीव गांधी सरीखे नेताओं ने इन सिद्धांतों के लिए कुर्बानी दी। उन्होंने कहा ‘‘आज वही धर्मनिरपेक्ष विचारधारा संघ और भाजपा की विचारधारा के कारण खतरे में है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी भी धर्म और भाषा के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया और हमेशा लोगों की एकता के लिए काम किया। तेलंगाना में पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का शुभारंभ करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी ने तेलंगाना राज्य के गठन के लिए किए गए अपने वादे को निभाया और लोगों के 6० वर्ष पुराने सपने को साकार किया। उन्होंने कहा चूंकि अब समय तेलंगाना राज्य को जिम्मेदारी के साथ चलाने का आ गया है इसलिए लोगों को शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस को वोट डालना चाहिए। सोनिया गांधी ने संसद में तेलंगाना विधेयक का विरोध करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और वाईएसआर कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भी नहीं बख्शा। टीआरएस ने न तो कांग्रेस में विलय किया और न ही चुनावी गठबंधन बनाया। भाजपा का दामन थामने के लिए भी उन्होंने तेदेपा की आलोचना की। उन्होंने कहा ‘‘आने वाले दिनों में सत्ता सुख भोगने के लिए और भी कई दल भाजपा के साथ दोस्ती गांठ सकते हैं। लोगों को ऐसी पार्टियों से सचेत रहना चाहिए और गुमराह नहीं होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा ‘‘टीआरएस की तेलंगाना विधेयक का मसौदा तैयार करने और पारित करने में कोई भूमिका नहीं रही।’’ उन्होंने उल्लेख किया कि 2००1 में टीआरएस के गठन से सात माह पूर्व तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी विधायकों ने बैठक की और पार्टी नेतृत्व से पृथक तेलंगाना राज्य को समर्थन देने का प्रस्ताव पारित किया था। फरवरी में संसद से तेलंगाना विधेयक के पारित होने के बाद सोनिया गांधी की तेलंगाना में यह पहली सभा थी।