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धवन ने कहा-नाकामियों से सीखा सबक, अब इन दो बातों पर है फोकस

भारतीय ओपनर शिखर धवन उस खराब दौर को भूले नहीं हैं जब उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। बकौल शिखर नाकामियों ने उन्हें अहम सबक सिखाया है। पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में खराब फॉर्म के कारण बाएं हाथ के इस बल्लेबाज को मौका नहीं मिला था। इस साल उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी में वापसी की। उसके बाद से उनका बल्ला जमकर रन उगल रहा है और वह चाहते हैं कि यह शानदार फॉर्म जारी रहे।

धवन ने कहा-नाकामियों से सीखा सबक, अब इन दो बातों पर है फोकसनाकामी बहुत कुछ सिखाती है, मैंने वह सबक सीखा

धवन ने रविवार को श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में नाबाद 132 रन की पारी खेलते हुए 11वां शतक लगाया। उन्होंने कहा कि अगले विश्व कप में अभी समय है। मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं, यही मेरा लक्ष्य है क्योंकि अगर मैं अच्छा नहीं खेला तो हमारी टीम में इतने महान बल्लेबाज हैं कि कोई भी मेरी जगह ले सकता है। उन्होंने कहा कि नाकामी बहुत कुछ सिखाती है और मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने वह सबक सीखा। अपने खराब दौर के बारे में उन्होंने कहा कि मैं पहले ही खराब दौर से गुजर चुका हूं इसलिए उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता। जब इसे आना है, आएगा। मैं उसका भी स्वागत करूंगा। जब मैं अच्छा नहीं खेल रहा था तब भी प्रक्रिया पर ध्यान था। अब अच्छा खेल रहा हूं तो भी प्रक्रिया पर ही ध्यान है। ये चीजें मुझे चिंतित नहीं करती। 

युवा खिलाड़ियों के बीच बनाए रखना चाहता हूं फिटनेस

रविवार को 71 गेंदों पर अपने कैरियर का सबसे तेज शतक बनाने के अलावा उन्होंने टेस्ट सीरीज में भी गाले और पल्लेकल टेस्ट में शतकीय पारियां खेली थीं। उन्होंने कहा कि चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में भी वह ऐसी ही फॉर्म में थे और पिछली चैंपियंस ट्रॉफी (2017) में भी ऐसे ही लय रही। धवन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले टेस्ट मैच में भी ऐसी ही फॉर्म थी और श्रीलंका के खिलाफ गाले टेस्ट में भी मैं ऐसे ही शानदार अंदाज में खेल रहा था। दिल्ली के 31 वर्षीय बल्लेबाज ने कहा कि मैं सफलता के उसी मंत्र को दोहराना चाहता हूं। युवा खिलाड़ियों के बीच में अपनी फिटनेस को उच्च स्तरीय बनाए रखना चाहता हूं। मैंने कोई बहुत लक्ष्य नहीं बनाए हैं बस प्रक्रिया पर ध्यान है जिसमें फिटनेस, कौशल और फील्डिंग को बेहतर करने पर जोर है।

बैटिंग के दौरान पिच पर नहीं गेंद पर रहता है ध्यान 

दाम्बुला की पिच पर श्रीलंका की टीम जो एक समय एक विकेट पर 139 पर खेल रही थी वह 216 पर ऑलआउट हो गई। भारतीय पारी में धवन ने कप्तान विराट कोहली के साथ मिलकर 197 रन की साझेदारी की और टीम को 21.1 ओवर पहले नौ विकेट से जीत दिला दी। धवन ने कहा कि मैं पिच के बारे में कभी नहीं सोचता। मेरा ध्यान और निगाह तो गेंद पर रहती है। वैसे पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी थी। जिस तरह से श्रीलंका ने शुरुआत की थी। हम सोच रहे थे कि वह 300 से ज्यादा का स्कोर बनाने में सफल रहेगी लेकिन उन्होंने मिडिल ओवरों में काफी विकेट गंवाए और हमने दबदबा बना लिया। 

लसिथ मलिंगा के खेल पर दिख रहा है उम्र का असर

जब धवन से यह पूछा गया कि क्या उम्रदराज हो रहे लसिथ मलिंगा की अगुवाई में श्रीलंकाई आक्रमण में ज्यादा पैनापन नहीं था तो उन्होंने कहा कि मलिंगा श्रीलंका के दिग्गज खिलाड़ी हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रारूपों में अच्छा किया है। समय के साथ उनकी गति कुछ कम जरूर हुई है। यह स्वाभाविक भी है। फर्क पड़ता है, यही जीवनचक्र है। मैं श्रीलंकाई गेंदबाजी आक्रमण के लिए कड़े शब्दों का उपयोग नहीं करूंगा। बाएं हाथ के पेसर  विश्वा फर्नांडो ने अच्छी गति दिखाई। उनके पास अच्छे तेज गेंदबाज हैं। चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने हमें पराजित भी किया था। श्रीलंकाई टीम युवा है जबकि भारतीय टीम परिपक्व और अनुभवी है। अनुभव के साथ दबाव का सामना करना सीखते हैं और समय के साथ श्रीलंकाई टीम भी बेहतर करेगी।  
 

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