लखनऊ : उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का एक नया केन्द्र बनाने के मंसूबे के तहत, बसपा सुप्रीमो मायावती से नाराजगी के कारण अलग हुए या निकाले गये पुराने नेता तथा मायावती के सरपरस्त रहे बसपा संस्थापक कांशीराम के परिजन साल 2017 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले एक नयी पार्टी बनाने की तरफ कदम बढा रहे हैं। काफी समय से मायावती के विरोध में बहुजन संघर्ष पार्टी (कांशीराम) चला रहे कांशीराम के छोटे भाई दलबारा सिंह को अब अपने भाई के करीबी रहे उन नेताओं का साथ मिल गया है जिन्हें मायावती ने हाल में पार्टी से निकाला था। सिंह ने भाषा से बातचीत में कहा, मैं लोगों के बीच जाकर बताउंगा कि कैसे मायावती कांशीराम के बताये रास्ते से भटक गयी हैं। मायावती ने जिन नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है वे अब मेरे साथ आ रहे हैं और जनता के बीच जाकर मौजूदा बसपा की असलियत बता रहे हैं। इससे माहौल में फर्क साफ देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, मायावती के प्रति लोगों की सोच में बदलाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। अगर उन्हें अच्छा विकल्प मिले तो वे हमारा समर्थन करेंगे। मायावती चाहे जो कुछ कर लें वह कांशीराम का स्थान नहीं ले सकतीं।
सिंह ने कहा, साल 2017 के विधानसभा चुनावों में मायावती को किनारे लगाना हमारा मकसद है। हम उत्तर प्रदेश और पंजाब में पूरी ताकत से चुनाव लडेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब कांशीराम की जन्मभूमि है और उत्तर प्रदेश उनकी कर्मभूमि है। हम दोनों ही जगह पर उनके आंदोलन को पुनर्जीवित करने की पुरजोर कोशिश करेंगे। सिंह ने कहा कि हम अपने संगठन को इस तरह तैयार करेंगे ताकि जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारी मौजूदगी दिखाये जैसा कि कांशीराम जी के जमाने में था। उन्होंने कहा कि उन सभी लोगों को एक साथ लाया जायेगा जो कांशीराम की नीतियों का अनुसरण करते है और जिन्हें मायावती ने बसपा से निकाल दिया।