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नई सरकार के गठन की शासकीय तैयारियों से सियासी हलचल बढ़ी

देहरादून(ईएमएस)। उत्तराखंड में चौथी विधानसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनाव संपन्न हो गये हैं और 11मार्च को मतगणना के बाद स्थिति साफ हो जायेगी कि नई सरकार किस दल की बनेगी और अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। नई विधानसभा का गठन नहीं हो जाता तब तक हरीश रावत मुख्यमंत्री बने रहेंगे। आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण किसी प्रकार का नितिगत निर्णय लेने से उन्हें बचना होगा। उनके सचिवालय जाने पर रोक लगा दी जाये या बतौर मुख्यमंत्री मिलने वाली सुविधओं से वंचित कर दिया जाये। जैसा कि भाजपा चाह रही है लेकिन वह संविधान के अनुरूप कार्य कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह 11 मार्च को अपना इस्तीफा दे सकते हैं। हरीश रावत अभी पूरी तरह से और वैधानिक रूप से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं। वह 26 मार्च तक तीसरी विधानसभा के कार्यकाल तक इस पद पर बने रह सकते हैं।

 

संविधान के जानकारों के अनुसार हालांकि इस संबंध में उनकी कुछ बाध्यताएं भी हैं। मसलन 11 मार्च को चुनावी नतीजे आने के बाद उनकी पार्टी को बहुमत मिले या ना मिले, नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए हरीश रावत को बतौर मुख्यमंत्री त्यागपत्र देना पड़ेगा। संवैधानिक जिम्मेदारी के तहत राज्यपाल उनका त्यागपत्र स्वीकार करेंगे और नई सरकार के गठन तक उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए कहेंगे। इस बीच चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा वार निर्वाचित विधायकों का नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा। नई विधानसभा के गठन के लिए राज्यपाल की ओर से नव निर्वाचित विधायकों में से किसी सीनियर विधायक को प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

यह प्रोटेम स्पीकर विधानसभा के सभी सदस्यों को शपथ दिलायेंगे। दूसरी ओर मतगणना के बाद जिस दल को पूर्ण बहुमत मिलता है उसके विधानमंडल दल के नेता राज्यपाल को अपने सभी साथी विधायकों की सूची के साथ सरकार बनाने के लिए पत्र सौंपेगा। किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है और एक से अधिक दल सरकार बनाने का दावा करते हुए राज्यपाल को पत्र सौंपता है तो राज्यपाल देखेंगे कि कौन सा दल सरकार बनाने में सक्षम है और वह सदन में बहुमत साबित कर सकता है।

इस मामले में राज्यपाल स्व विवेक से फैसला लेकर ही आगे की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे और यह परम्परा के अनुसार राज्यपाल उसी दल को सरकार बनाने का मौका देंगे जिसके पास या तो पूर्ण बहुमत हो या फिर सर्वाधिक विधायकों का उसे समर्थन प्राप्त हो। वह सरकार बनाने से इंकार करता है तो राज्यपाल फिर से किस दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत की जाती है।

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