नए उद्यमों को चाहिए CEO प्रधानमंत्री की मदद : नंदन नीलेकणी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए उद्यमों की उसी प्रकार मदद करनी चाहिए, जिस तरह से बड़ी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी निर्देश देते हैं और सोच को पुष्पित और पल्लिवित करते हैं। यह बात टेक्नोक्रैट और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी ने कही।
उन्होंने कहा, “बड़ी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी विभिन्न टीमों को सुरक्षा प्रदान करते हैं और नए उत्पादों और विचारों को विकास करने में सहयोग करते हैं। उसी तरह से प्रधानमंत्री को भी इन परियोजनाओं को शैशवावस्था में सुरक्षा देनी चाहिए और उन्हें विकास करने में मदद करनी चाहिए।”
12 बड़ी चुनौतियों की पहचान की गई है
अपनी नई पुस्तक ‘रीबूटिंग इंडिया’ में नीलेकणी ने आधुनिक भारत के विकास के लिए प्रौद्योगिकी आधारित सोच प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक उन्होंने विरल शाह के साथ लिखी है। नीलेकणी ने कहा, “(पुस्तक में) हमने 12 बड़ी चुनौतियों की पहचान की है। इनमें से दो पर काम आगे बढ़ाया गया है। ये हैं आधार और पहल।”
चार पर शुरुआती काम किया गया
उन्होंने कहा, “बाकी बच गई 10 चुनौतियां। इनमें से चार पर शुरुआती काम किया गया है। ये हैं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), इलेक्ट्रॉनिक टोल, माइक्रोएटीएम और आधार के जरिए कैशलेस अर्थव्यवस्था और ई-केवाईसी के जरिए पेपरलेस समाज।”
उन्होंने अन्य छह चुनौतियों में स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्वाचन, ऊर्जा, न्याय एवं सरकारी खर्च प्रबंधन की गिनती की। उन्होंने कहा कि यदि आधार और पहल परियोजना सफल रहती है, तो जिन 10 अन्य परियोजनाओं की उन्होंने कल्पना की है, वह मूर्त हो सकती है।
स्टार्टअप में निवेश के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “मैं ऐसे स्टार्टअप में निवेश करता हूं, जिसकी सोच देशव्यापी है, जो ऐसे उत्पादों का निर्माण करते हैं, जो असंगठित को संगठित और छोटे लोगों को सशक्त करते हैं।” नीलेकणी ने छह अन्य साथियों के साथ इंफोसिस की स्थापना की थी और मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। उन्होंने करीब आधे दर्जन स्टार्टअप में निवेश किया है।