नई दिल्ली: नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक के मसौदे की समीक्षा कर रही संसदीय समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र तक बढ़ा दिया गया है। ऐसे में इसके फिलहाल संसद में पेश होने की संभावना नहीं है।
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में एक नियामकीय प्राधिकरण को उत्पादों को बाजार से वापस मंगाने का अधिकार देने, चूक करने वाली कंपनियों के लाइसेंस निरस्त करने और सामूहिक मुकदमा दायर करने की व्यवस्था की गई है।
गुरुवार को जारी राज्यसभा बुलेटिन में कहा गया है कि खाद्य, उपभोक्ता मामलों व सार्वजनिक वितरण पर संसदीय समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है और उसे संसद के बजट सत्र 2016 के प्रथम सप्ताह तक उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015 पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
इसमें प्रावधान है कि एक सामूहिक मुकदमे के तहत एक या कई व्यक्ति, लोगों के एक बड़े समूह की तरफ से मुकदमा कर सकते हैं। मौजूदा कानून के तहत, प्रभावित उपभोक्ता शिकायतों का निपटान करने के लिए अलग-अलग प्राधिकरणों से संपर्क करते हैं। नए कानून के तहत गड़बड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी।
इस विधेयक को 25 अगस्त को समिति के पास भेजा गया था। पिछले दिनों मैगी नूडल्स को लेकर हुए विवाद के मद्देनजर नया उपभोक्ता कानून और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
स्थायी समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद उपभोक्ता मामलों के विभाग को समिति द्वारा की गई सिफारिशों के साथ एक बार फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क करना पड़ेगा।