
सरकार दो साल पुराने प्लेन को हटाने की तैयारी कर रही है। सरकार 114 सिंगल इंजन वाले फाइटर प्लेन को मेक इन इंडिया के तहत विदेशी सहयोग से बनाने की योजना बना रही है। इस योजना का अनुमानित खर्च 1.15 लाख करोड़ रुपए है। सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना (एआईएफ) से केवल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रनों तक सीमित होने के लिए कहा है। जबकि इस समय चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे के लिए 42 लड़ाकू स्कवाड्रनों की जरूरत है। मंत्रालय ने वायुसेना को एक नया प्रस्ताव लाने के लिए कहा है जिससे सिंगल और डबल इंजन जेट का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
सूत्र ने आगे बताया कि ओरिजनल प्लान ने सिंगल इंजन फाइटर पर अनावश्यक प्रतिबंध लगा दिया है जिससे की प्रतिद्वंदिता सीमित हो गई है। इस योजना का लक्ष्य दावेदारी को बढ़ाना है। इस योजना के तहत एफ-16 बनाने वाले लॉकहीड मार्टिन ने टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ तो स्वीडन की कंपनी साब ने अडानी ग्रुप से हाथ मिलाया है। मेक इन इंडिया की रणनीतिक साझेदारी नीति के जरिए इससे भारत में नए फाइटर प्लेन बनाए जाएंगे।
इस योजना में और दो साल की देरी हो गई है। जिसकी वजह से वायुसेना 42 स्कवॉड्रन के अपने लक्ष्य को 2032 तक भी हासिल नहीं कर पाएगी। अब वायुसेना अपनी जरूरत के हिसाब से नया प्लान बनाएगी। रक्षा मंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर ने भी सिंगल इंजन वाले प्लेन बनाने का प्रस्ताव दिया था।