नए साल पर त्रिवेंद्र कैबिनेट को मिलेंगे दो नए मंत्री, चेहरों पर चर्चा शुरू
मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत दस सदस्य हैं। मंत्रिमंडल विस्तार की सहमति बन गयी है, लेकिन क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने की मशक्क्त अभी जारी है। मंत्रिमंडल में गढ़वाल का पलड़ा भारी है और कुमाऊं के विधायको को उम्मीद है कि इस बार उनकी उपेक्षा नहीं होगी।
त्रिवेंद्र कैबिनेट में सतपाल महाराज , प्रकाश पंत, हरक सिंह रावत , मदन कौशिक , यशपाल आर्य, अरविन्द पांडेय, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, धनसिंह रावत अभी शामिल है।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री के अलावा सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और धन सिंह रावत चारों ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं और चारो मूलत: पौड़ी जिले के रहने वाले है। भले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला से विधायक हो लेकिन वह पौड़ी जिले के रहने वाले है।
इसलिए भाजपा के रणनीतिकार इसी घमासान में उलझे है कि क्या तरकीब निकली जाय कि मंत्रिमंडल जाय और नाराजगी भी ना हो। क्योंकि गढ़वाल के पहाड़ से किसी ब्राह्मण को, हरिद्वार से किसी अन्य पिछड़ा वर्ग के विधायक को और कुमाऊं से किसी ठाकुर विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने के दबाव पार्टी के भीतर बढ़ता जा रहा है।
अब यह संभावित विस्तार मंत्रिमंडल में कितना संतुलन बनाएगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन दावेदारों ने अपनी लॉबिंग शुरू कर दी है। किसके अरमान लुटेंगे और किसकी हसरत पूरी होगी, यह विस्तार के बाद ही समझ में आएगा।
इसके अलावा गढ़वाल से ही सुबोध उनियाल भी कैबिनेट मंत्री है। हरिद्वार से मदन कौशिक भी कैबिनेट में है। इस लिहाज से मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट की छह सीट और विधानसभाध्यक्ष गढ़वाल के पास है, जबकि कुमाऊं के पास चार पद हैं जिनमे यशपाल आर्य, प्रकाश पंत, अरविन्द पांडेय कैबिनेट मंत्री और रेखा आर्य राजयमंत्री है।
कुल मिलकर मंत्रिमंडल में सीएम समेत चार ठाकुर, कौशिक व पंत, उनियाल व पांडेय चार ब्राह्मण और अनुसूचित जाति से दो यशपाल आर्य और रेखा आर्य मंत्री है। जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग से एक भी मंत्री नहीं है।