26/11, भारत के इतिहास की एक ऐसी तारिख जिसे लिखते हुए भी हाथ कांपते हैं. वो साल 2008 था जब मुंबई जागी तो थी लेकिन पक्षियों की चचहाट से नहीं बल्कि गोलियों और बमों की गूँज से. देश ने जब टीवी खोली तो हर तरफ बस एक खबर थी कि “हमारी मुंबई हाईजैक हो चुकी है.” हाईजैक, पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों द्वारा जिन्होंने चुन-चुन कर मुंबई की भीड़भाड़ वाली जगहों को अपना निशाना बनाया था. हर पल की खबर टीवी पर थी. देश के लाखों लोग इस खौफनाक मंज़र को अपनी आँखों से देख रहे थे. उनमे से बहुतों ने तो अपने घरवालों की लाशें भी देखी, लेकिन उस वक़्त कोई कुछ नहीं कर पा रहा था, उस वक़्त मुंबई बेबस थी, उस वक़्त देश बेबस था.
हालाँकि ये बेबसी बहुत समय की नहीं थी. पूरा मामला समझने की देरी थी और देश के जाबांज अब ड्यूटी पर तैनात हो चुके थे. जो मुंबई में नहीं थे वो हर पल टकटकी लगाये बस उस खबर के आने का इंतज़ार कर रहे थे कि मुंबई को आतंकियों के चुंगल से निकाल लिया गया है, और जो मुंबई में थे वो इस भयावह सपने के और उस स्याह काली रात के बीत जाने का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब देश इस मुश्किल की घड़ी से जूझ रहा था तब देश के युवा नेता, राहुल गाँधी क्या कर रहे थे?
नहीं जानते होंगें, क्यूंकि ये बात राहुल गाँधी ने कभी देश के सामने उठाई ही नहीं. शायद इसलिए नहीं उठाई क्योंकि वो बताने लायक थी ही नहीं. अब हम आपको बताते हैं कि 26/11 हमले के ठीक अगले दिन राहुल गाँधी पार्टी कर रहे थे. पार्टी दिल्ली में थी. बताया जा रहा है कि ये पार्टी राहुल के बचपन के दोस्त समीर शर्मा के संगीत की थी. मिली खबर के अनुसार ये पार्टी छतरपुर के एक फार्महाउस में रखी गयी थी लेकिन ज़रा सोचिये, देश का एक युवा नेता, जो खुद को प्रधानमंत्री बनने का प्रबल दावेदार बताता है वो देश के ऐसे कठिन मौके पर पार्टी में लिप्त था. बताया जाता है समीर शर्मा यूएस के बिज़नसमैन सतीश शर्मा के लाडले हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि 21 नवम्बर 2012 को आंतकी कसाब को फांसी पर लटका दिया गया. इतना ही नहीं जिस अफज़ल गुरु की बात का दंभ कसाब ने भरा था उस आतंकी अफज़ल गुरु को भी आखिरकार 9 फरवरी 2013 को उसके गुनाहों की एक बहुत ही छोटी सज़ा, फांसी दे दी गयी.