नई दिल्ली: दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने UAPA की आरोपी नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा और देवांगना कालिता को जमातन दे दी है. हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस ए जे भमभानी ने की. नताशा नरवाल और कलिता को मई 2020 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में उस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को सांप्रदायिक हिंसा हुई थी जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 अन्य घायल हो गये थे. इस मामले में खालिद, इशरत जहां, ताहिर हुसैन, मीरान हैदर, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा और शिफा उर रहमान हैं और वे भी इस समय न्यायिक हिरासत में थे.
हाल ही में नताशा नरवाल को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जमानत दी गई थी. रवाल के पिता महावीर नरवाल का कोविड-19 के संक्रमण से निधन हो गया था. ‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की कार्यकर्ता नरवाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर तीन सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी गयी थी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा नरवाल के भाई भी कोविड-19 से संक्रमित हैं और अदालत ने इसी आधार पर उन्हें यह राहत दी थी. ‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की शुरुआत 2015 में हुई थी जिसका उद्देश्य छात्रावासों और पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए पाबंदियों को खत्म करना था.