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नफरत की भी कोई लिमिट होती है: HC में जेठमलानी के सवालों से खफा जेटली बोले

नई दिल्ली.अरुण जेटली और राम जेठमलानी के बीच बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में तल्ख बहस हुई। यहां जेटली ने डीडीसीए से जुड़े मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है। इसकी सुनवाई के दौरान जेटली का क्रॉस एग्जामिनेशन होना था। केजरीवाल की तरफ से बतौर वकील जेठमलानी मौजूद थे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, जेठमलानी ने बहस के दौरान ऐसा शब्द कह दिया, जिससे जेटली अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाए। उन्होंने कहा- किसी के लिए नफरत रखने की भी एक लिमिट होती है। बता दें कि जेटली (64) और जेठमलानी (93) के बीच इससे पहले भी कोर्टरूम में तीखी बहस हो चुकी है। अगली सुनवाई 28 और 31 जुलाई को होगी। हाईकोर्ट में क्या हुआ…
– जेठमलानी ने कहा- ”डीडीसीए में गड़बड़ियों को लेकर लिखा मेरा एक आर्टिकल फाइनेंस मिनिस्टर के कहने पर मैगजीन ने नहीं छापा। क्योंकि इस दौरान जेटली क्रिकेट बॉडी के प्रेसिडेंट थे।”
– इस सवाल को रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा ने खारिज कर दिया। क्योंकि कोर्ट ने पहले ही इस आर्टिकल को गैरजरूरी माना था, जो केस से ताल्लुक नहीं रखता। जेठमलानी फिर भी अपनी बात पर अड़े रहे।
– जेटली के वकीलों ने कहा- ”जेठमलानी रंजिशन ऐसे सवाल पूछ रहे हैं। जो केस से इत्तेफाक नहीं रखते, इन्हें रोका जाना चाहिए। क्योंकि केस अरुण जेटली V/S अरविंद केजरीवाल है, ना कि राम जेठमलानी V/S जेटली।”
– जेठमलानी ने कहा- ”जेटली खुद अपराध मानने की बजाय दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं।”
– जेटली के वकीलों ने इस पर विरोध जताया। कहा कि जेठमलानी फाइनेंस मिनिस्टर की बेइज्जती बंद करें। रजिस्ट्रार के बार-बार कहने पर कि सीनियर वकील और उनके साथी लिमिट क्रॉस कर रहे हैं। कोर्ट को अपना काम करने दिया जाए। लेकिन, जेठमलानी ने अपना हमला जारी रखा। 

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क्या केजरी के कहने पर ऐसा कर रहे हैं
– नाराज जेटली ने जेठमलानी से पूछा- क्या आप केजरीवाल के कहने पर मेरे खिलाफ गलत शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं? नफरत की भी कोई लिमिट होती है।
– जेठमलानी ने कहा- उनसे बात करके ही ये सब कह रहा हूं। हालांकि, केस की शुरूआत में केजरी के लिए पैरवी करने वाले वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे कभी ऐसा करने के लिए नहीं कहा गया था।
– केजरीवाल और आप नेताओं के लिए जेठमलानी के साथ पैरवी कर रहे वकीलों ने कहा कि मानहानि केस के लिए जेटली 10 करोड़ के हर्जाने के हकदार नहीं हैं।
 
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?
– सोमवार को जेठमलानी ने जेटली से पूछा- ”क्या आपने नरेंद्र मोदी से सलाह लेने के बाद केस फाइल किया? क्या आप चाहते हैं कि आपके बचाव में मोदी को गवाह के तौर पर बुलाया जाए?” कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।
– जेठमलानी ने पूछा- ”आप कैबिनेट मिनिस्टर बनाए गए। इसलिए पीएम आपके कैरेक्टर को अच्छी तरह जानने वाले गवाह हो सकते हैं? क्या आप उन्हें यहां बुलाना चाहते हैं?”
– जेटली के वकील राजीव नायर और संदीप सेठी ने इसका विरोध किया था। रजिस्ट्रार ने इस सवाल को भी खारिज कर दिया, क्योंकि जेटली ने अपने गवाहों की लिस्ट कोर्ट को दी है।
– जेटली ने कहा कि पीएम ने कभी इस बारे में कुछ नहीं कहा। ये झूठे आरोप हैं। ज्वाइंट रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा ने कहा कि ये केस से जुड़ा मामला नहीं है। ऐसे सवाल नहीं पूछे जाएं।
 
क्या है मामला?
– दिल्ली के सीएम ऑफिस में दिसंबर, 2015 में सीबीआई ने छापा मारा। केजरीवाल ने दावा किया था कि ऑफिस में DDCA के कथित घोटालों से जुड़ी फाइल आई थी। इसे रेड के दौरान सरकार ने सीबीआई के जरिए गायब करा दिया।
– आप नेताओं का आरोप था कि जेटली के दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (DDCA) प्रेसिडेंट रहते हुए कई आर्थिक गड़बड़ियां हुईं। जेटली 2010 से 13 तक क्रिकेट बॉडी के प्रेसिडेंट थे।
– इसके पहले वेटरन क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी और कीर्ति आजाद ने भी DDCA में आर्थिक गड़बड़ियों के आरोप लगाए थे। इसके चलते आजाद ने बाद में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया।
– जेटली ने लगातार घोटाले के आरोपों को खारिज किया। कथित घोटाले में नाम घसीटे जाने पर केजरीवाल और 5 आप नेताओं के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में क्रिमिनल और हाईकोर्ट में सिविल मानहानि केस फाइल किया। 10 करोड़ का हर्जाना भी मांगा है।

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