नम आंखों के बीच शहीद रामसिंह को दी गई अंतिम विदाई, आखिरी दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
मेरठ: जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) राम सिंह जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आंतकियों से हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। शुक्रवार 20 अगस्त को उनका पार्थिव शरीर दोपहर तीन बजे मेरठ के थाना गंगानगर क्षेत्र के इशापुरम उनके घर पहुंचा। जहां गमगीन माहौल में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इससे पहले शाम करीब साढ़े छह बजे शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा तो हर तरफ मातम पसर गया। वहीं, शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उनके घर जनसैलाब उमड़ पड़ा। वहीं, दूसरी तरफ शहीद की पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।
आसपास के लोग परिवार को संभालने में लगे हुए थे। बता दें, राम सिंह, मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के सलाना के रहने वाले थे। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ मेरठ जिले के थाना गंगानगर क्षेत्र के इशापुरम में रह रहे थे। राम सिंह 27 जुलाई को एक महीने की छुट्टी के बाद जम्मू गए थे। वे राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट में तैनात थे, इसलिए आतंकी ऑपरेशन में उनका अक्सर आना-जाना रहता था। गुरुवार सुबह ही उनकी पत्नी अनीता भंडारी से फोन पर रोजाना की तरह बात हुई थी। शाम को परिजनों को सूचना मिली कि वे शहीद हो गए। परिजनों की मानें तो राम सिंह छह महीने बाद रिटायर होने वाले थे।
पति की शाहदत की खबर सुनकर पत्नी अनीता बेहोश हो गईं। जेसीओ राम सिंह के शहीद हो जाने की सूचना के बाद क्षेत्र के लोग रात तक उनके घर के बाहर पहुंचते रहे। पूरे इलाके में मातम छा गया। बता दें कि राम सिंह के पांच बच्चों में दो बेटी प्रियंका रावत और करिश्मा नेगी की शादी हो चुकी है। सात साल से उनका परिवार मेरठ के ईशापुरम के बी-28 में रह रहा है। एमकॉम की पढ़ाई करते हुए राम सिंह का बेटा सोलन सीडीएस की तैयारी कर रहा है। वहीं, छोटी बेटी मीनाक्षी और मनीषा पढ़ रही हैं। राम सिंह बेहद मिलनसार थे। उनकी बातों में देशभक्ति का जुनून साफ झलकता था। किसी भी परिस्थिति में देश के लिए समर्पित रहने का जज्बा था। लोगों ने बताया कि सूचना आई कि गोली लगने के बाद भी उन्होंने आतंकी को नहीं छोड़ा।