नवग्रह स्तोत्र के पाठ करने से दूर हो जाते हैं मनुष्य के कष्ट, करें इसका पाठ
नवग्रह स्तोत्र एक सिद्ध स्तोत्र है। इसमें महर्षि वेदव्यास द्वारा वर्णित प्रत्येक ग्रह का सिद्ध पौराणिक मंत्र है और इन्ही ग्रहों के पौराणिक मंत्रों से मिलकर ये सिद्ध नवग्रह-स्तोत्र बना है जिसके नित्य पाठ से ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार इससे कुंडली के निर्बल ग्रह भी बलि होते हैं और अगर कुंडली में किसी अकारक ग्रह की दशा के कारण जीवन में संघर्ष बढ़ रहा हो तो ऐसे में भी इस स्तोत्र का पाठ करने से बहुत शुभ परिणाम मिलते हैं इसलिए इस नवग्रह स्तोत्र का नित्य पाठ करना चाहिए
नवग्रह स्तोत्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् I
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् II १ II
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् I
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् II २ II
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् I
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् II ३ II
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् I
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् II ४ II
देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् I
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् II ५ II
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् I
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् II ६ II
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् I
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् II ७ II
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् I
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् II ८ II
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् I
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् II ९ II
इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः I
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति II १० II
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम् I
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् II ११ II
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः I
ता सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः II १२ II