अद्धयात्म
नवरात्रि 13 से, इस बार 10 दिन होगी माता की आराधना
हिंदू धर्म में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आमतौर पर 9 दिनों तक मनाया जाने वाला नवरात्रि पर्व इस बार 10 दिनों तक मनाया जाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि प्रतिपदा तिथि दो दिन (13 व 14 अक्टूबर) रहेगी। इस बार यह पर्व 13 अक्टूबर, मंगलवार से 22 अक्टूबर, गुरुवार तक मनाया जाएगा।
नवरात्रि में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर तिथि का एक विशेष महत्व होता है और माता के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। यह समय सिद्धि प्राप्ति के लिए भी उचित माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। इस पर्व के दौरान प्रमुख माता मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है।
यहां श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। रंग-बिरंगी रोशनी और माता के भजनों में वातावरण और भी भक्तिमय हो जाता है। नगर के प्रमुख स्थानों पर माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए सभी अपने-अपने तरीके से प्रयास करते हैं। कोई नौ दिन का उपवास रखता है, तो कोई चप्पल नहीं पहनता। साथ ही अनेक स्थानों पर गरबों का आयोजन भी किया जाता है।
माता की भक्ति में ये दिन कब गुजर जाते हैं पता ही नहीं चलता। दसवें दिन माता की मूर्ति को नदी में प्रवाहित किया जाता है और यह प्रार्थना की जाती है कि माता सबके जीवन के दु:खों का अंत करें और सुख-शांति लाएं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से यदि देखा जाए तो यह पर्व मन, वाणी व व्यसनों पर काबू करने की सीख देता है। यही इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य भी है।
यहां श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। रंग-बिरंगी रोशनी और माता के भजनों में वातावरण और भी भक्तिमय हो जाता है। नगर के प्रमुख स्थानों पर माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए सभी अपने-अपने तरीके से प्रयास करते हैं। कोई नौ दिन का उपवास रखता है, तो कोई चप्पल नहीं पहनता। साथ ही अनेक स्थानों पर गरबों का आयोजन भी किया जाता है।
माता की भक्ति में ये दिन कब गुजर जाते हैं पता ही नहीं चलता। दसवें दिन माता की मूर्ति को नदी में प्रवाहित किया जाता है और यह प्रार्थना की जाती है कि माता सबके जीवन के दु:खों का अंत करें और सुख-शांति लाएं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से यदि देखा जाए तो यह पर्व मन, वाणी व व्यसनों पर काबू करने की सीख देता है। यही इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य भी है।