नवरात्रि 2019: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी
शक्ति आराधना का पावन पर्व नवरात्रि पितरों की विदाई के अगले ही दिन आरम्भ हो जाता है यद्यपि नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, किन्तु माता एकाकार हैं एक ही हैं अलग-अलग नहीं, स्वयं माता ने कहा है कि, एकै वाहं जगत्यत्र द्वितीया का ममापरा। अर्थात इस संसार में एक मै ही हूं।दूसरी और कोई नहीं ! सभी चराचर जगत जड़-चेतन, दृश्य-अदृश्य रूपों में मै ही हूँ। मत्तः प्रकृति पुरुषात्मकमजगत। प्रकृति और पुरुष मेरे द्वारा ही उत्पन्न हुए हैं।
दुर्गा सप्तशती के पाठ का व्याहारिक लाभ
दुर्गा पूजन अथवा सप्तशती का पाठ सुनना या श्रवण करना सभी गृहस्थों के लिए वरदान की तरह है क्योंकि, इनकी कोई न कोई परेशानी हमेशा पीछा करती रहती है। जो लोग सब कुछ होते हुए भी परिवार में तनाव और कलह से परेशान हैं, जो हमेशा शत्रुओं से दबे रहते हैं, मुकदमों में हार का भय सताता रहता है या जो प्रेत आत्माओं से परेशान रहते हैं उन्हें मधु और कैटभ जैसे राक्षसों का संहार करने वाली माता महाकाली के दुर्गासप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करना या सुनना चाहिए।
बेरोजगारी की मार से परेशान, कर्ज में आकंठ डूबे हुए जिनके चारों ओर अन्धकार ही दिखाई दे रहा हो, जो श्री हीन हो चुके हों, जिनका कार्य व्यापार बंद हो चुका हो, जिनके जीवन में स्थिरता नहीं हो, जिनका स्वास्थ्य साथ न दे रहा हो, घर की अशांति से परिवार बिखर रहा हो अथवा पूर्णतः भौतिक सुखों से वंचित हो ऐसे प्राणी को माता महालक्ष्मी की आराधना और मध्यम चरित्र का पाठ करना या सुनना चाहिए। यह दुर्गासप्तशती के अंतर्गत मध्यम चरित्र का पाठ-श्रवण सभी विपत्तियों से मुक्ति दिलाएगा।
जिनकी बुद्धि मंद पड़ गयी हो, पढाई में मन न लग रहा हो, स्मरणशक्ति कमजोर हो रही हो, सन्निपात की बीमारी से ग्रसित हों, जो शिक्षा-प्रतियोगिता में असफल रहते हों, ज्यादा पढ़ाई करते हो और नंबर कम आता हो अथवा जिनको ब्रह्मज्ञान और तत्व की प्राप्ति करनी हो उन्हें माता सरस्वती की आराधना और उतम चरित्र का पाठ करना चाहिए।
सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का दशांग या षडांग पाठ संसार के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है। सप्तशती पाठ-श्रवण से प्राणी सभी कष्टों से मुक्ति पा जाता है। घर में वास्तु दोष हो तो यह पाठ अथवा श्रवण इन दोषों के कुप्रभाव से छुटकारा दिला देता है क्योंकि, वास्तु पुरुष भीमाता का परम भक्त है माता के भक्तों पर ये अपनी कृपा बरसाते हैं।