नवरात्रि 2020: 25 मार्च से शुरू हो रहे नवरात्रि, ऐसे करें मां की उपासना…
25 मार्च से आरंभ हो रहा है नवरात्रि जिसमें हम परब्रह्म शक्ति की उपासना करके स्वयं को और अपने परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति दिला सकते हैं। संसार में सबसे सरल उपासना या तो माता शक्ति की है या भगवान शिव की है क्योंकि माँ कभी नाराज़ नहीं होतीं और भोलेनाथ अपने भक्तों की गलतियों पर ध्यान नहीं देते। पांच ज्ञान इन्द्रियाँ, पांच कर्म इन्द्रियाँ और एक मन इन ग्यारह को जो संचालित करती हैं वही परम शक्ति हैं जो जीवात्मा, परमात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश और चिदाकाश के में सर्वव्यापी है। इनकी श्रद्धाभाव से आराधना की जाए तो चारो पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में मां आराधना
नवरात्र में माँ शक्ति की आराधना कैसे करें इसका सरल उपाय हैं दो बातें ध्यान रखें, भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ, याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धः स्वान्तः थमीस्वरम। अर्थात शक्ति अथवा किसी भी देवता की आराधना के श्रद्धा-विश्वास और समर्पण का होना अति आवश्यक है। आप को विश्वास है, किन्तु श्रद्धा नहीं है, तो उस पूजा का कोई लाभ नहीं होगा। श्रद्धा है, किन्तु विश्वास नहीं है तो भी उस पूजा का कोई लाभ नहीं होगा। अगर ये दोनों हैं और समर्पण भी है तो आपको परमानंद की प्राप्ति होगी और माँ की कृपा निरंतर बनी रहेगी।
कलश स्थापना और पूजा विधि
नवरात्रि के दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ-साथ कलश स्थापन करें। कलश सोना, चांदी, तामा, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए, लोहे का कलश पूजन में वर्जित है। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक आदि लिख दें। आपको कोई भी मंत्र आता हो या नहीं आता हो इस बात की चिंता न करें। कलश स्थापन के समय अपने पूजागृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आँगन से पोर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। संभव हो तो नदी की रेत रखें फिर जौ भी डाले इसके उपरांत कलश में जल, गंगाजल, लौंग, इलायची,पान, सुपारी, रोली, मोली, चन्दन, अक्षत, हल्दी, रुपया पुष्पादि डालें।
फिर ॐ भूम्यै नमः कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें, अब कलश में थोडा और जल-गंगाजल डालते हुए ॐ वरुणाय नमः कहते हुए पूर्ण रूप से भर दें। इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें, यदि आम का पल्लव न उपलब्ध हो तो पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकर का पल्लव कलश के ऊपर रखने का विधान है। जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे मे भरकर कलश के ऊपर रखें और अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें। उत्तर भाग में नवग्रह भी बनायें और अपने हाथ में हल्दी अक्षत पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि, माँ मै आज नवरात्रि की प्रतिपदा से आप की आराधना अमुक कार्य के लिए कर रहा-रही हूँ, मेरी पूजा स्वीकार करो और मेरे ईष्ट कार्य को सिद्ध करो माँ।
अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए, ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते।। यह मंत्र पढ़ें। माँ की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मन्त्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे मन्त्र से सभी पूजा कर सकते हैं यही मंत्र पढ़ते हुए सामग्री चढ़ाएं, माता शक्ति का यह मन्त्र अमोघ है जो भी यथा संभव सामग्री हो आप उसकी चिंता न करें कुछ भी सुलभ न हो तो केवल हल्दी अक्षत और पुष्प से ही माता की आराधना करें। संभव हो श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरुर चढ़ाएं। एक ही बात का ध्यान रखें माँ शक्ति ही परब्रह्म हैं, उन्हें आपके भाव और भक्ति चाहिए सामग्री नहीं इसलिए जो भी सामग्री उपलब्ध हो वही भक्तिभाव और समर्पण के साथ माँ को अर्पित करें।
धन और सामग्री के अभाव में अपने मन में दुख अथवा ग्लानि को स्थान न दें। आप एक ही मंत्र से पूजा और आरती तक कर सकते हैं। विद्यार्थी वर्ग को ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः। मंत्र जाप करें जिन जीवात्माओं के घर में अशांति हो ईंट से ईंट टकराती हो उन्हें, या देवि ! सर्व भूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। मंत्र के जप से घर-परिवार की अशांति दूर होगी, जिन लोंगों पर भारी क़र्ज़ हो चुका है, उनके लिए यह कर्ज से मुक्ति के प्रयास का सही समय है। आप ‘या देवि ! सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
इस मंत्र का जप करें और इसी मंत्र से माँ की पूजा करें इन सबके अतिरिक्त अगर संभव हो तो कुंजिका स्तोत्र और देव्य अथर्वशीर्ष का पाठ करें। जिनको पूर्ण विधि-विधान आता है वे भक्त अपने ही अनुसार माँ की भक्ति करें। जिन युवकों का विवाह न हो रहा हो, वै विवाह का अनुभूत मंत्र- पत्नी मनोरमां देहि ! मनो वृत्तानु सारिणीम। तारिणीम दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम।| का जप करके मनोनुकूल जीवन साथी पा सकते हैं। अथक प्रयासों के बाद भी जिन युवतियों का जिनका विवाह न हो रहा हो वै- ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्द गोपसुतं देवी पतिं मे कुरु ते नमः।| मंत्र जाप करें उन्हें माँ की कृपा से शीघ्र मनोनुकूल पति प्राप्ति होगी। अधिक धन प्राप्ति के लिए प्रतिदिन दशांग, गूगल और शहद मिश्रित हवन सामग्री से हवन करें तो आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।