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नवाज शरीफ का कबूलनामा- हाँ पाकिस्तानी आतंकियों ने ही किया था मुंबई पर हमला

एजेंसी: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहली बार स्वीकार किया है कि करीब दस साल पहले मुंबई में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले में उनके देश के आतंकवादियों का ही हाथ था।
भ्रष्टाचार के मामले में सत्ता से बेदखल किए जा चुके शरीफ की यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा है, जो इस हमले में अपनी भूमिका को सिरे से खारिज करता रहा है। भारत द्वारा एक के बाद एक कई डोजियर और पुख्ता प्रमाण देने के बाद भी पाक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

शुक्रवार को मुल्तान में रैली से पहले डॉन अखबार को दिए गए एक इंटरव्यू में अपने देश की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए शरीफ ने कहा कि यहां अब भी आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं।

आप उन्हें नॉन स्टेट एक्टर का नाम दे सकते हैं लेकिन क्या उन्हें सीमा पार कर मुंबई में 150 लोगों की हत्या की इजाजत देनी चाहिए। मालूम हो कि 26 नवंबर, 2008 को लश्कर-ए-ताइबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला कर दिया था जिसमें 166 लोग मारे गए थे। उनमें से एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था जिसे मौत की सजा के बाद फांसी पर लटका दिया गया।

सुनवाई पूरी नहीं होने पर सवाल

रावलपिंडी की आतंक रोधी अदालत में मुंबई हमले की लंबित सुनवाई पर सवाल उठाते हुए शरीफ ने कहा कि इस ट्रायल को हम क्यों नहीं अंजाम तक पहुंचा पा रहे हैं। कोई उन्हें बताए कि आखिर इसकी वजह क्या है।

आतंकियों को सीमा पार जाकर आतंकी हमलों को अंजाम देने की इजाजत देना कतई मंजूर नहीं किया जा सकता है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी यह कह चुके हैं। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान ने मुंबई हमले की पैरवी कर रहे मुख्य सरकारी वकील चौधरी अजहर को हटा दिया था क्योंकि वे सरकार की बात मानने के बजाय कानून के दायरे में अपना काम कर रहे थे।

इस मामले में सात आरोपियों के खिलाफ पाकिस्तान के कई सरकारी और गैर-सरकारी गवाहों द्वारा सबूत दिए जाने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हो रही है। पाकिस्तान इसमें फैसला लेने के लिए भारतीय गवाहों को अपने यहां बुलाने पर अड़ा हुआ है।

अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान

पनामा पेपर घोटाले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएम की कुर्सी से हटाए जाने के लगभग नौ महीने बाद शरीफ ने इस साक्षात्कार में मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिए बगैर कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों की मौजूदगी के कारण वह पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है। आतंकवाद के खिलाफ जंग में तमाम कुर्बानियां देने के बावजूद कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है, जबकि अफगानिस्तान की बात सभी मान रहे हैं। हमें इस मामले में हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

दो या तीन सरकारों से देश नहीं चलता

अपने और परिवार के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर शरीफ ने सेना और न्यायपालिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप ऐसे किसी देश को नहीं संभाल सकते हैं जहां दो या तीन समानांतर सरकारें हों। यह सब बंद होना चाहिए। देश में सिर्फ एक केंद्रीय सरकार हो सकती है जो संविधान का पालन करे।

मुंबई पर 26 नवंबर 2008 (26/11) को हुए आतंकी हमले को 10 साल पूरे हो चुके हैं। उस हमले ने भारत ही नहीं दुनिया भर के देशों को सकते में डाल दिया था।

हमले के बाद चलाया गया ऑपरेशन चार दिन बाद खत्म हुआ था, इसमें 164 लोगों ने जान गंवाई, वहीं 305 लोग जख्मी हो गए थे। यह हमला मुख्य तौर पर ताज होटल पर किया गया था, पर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को भी निशाना बनाया गया था। पाकिस्तान में रह रहा हाफिज सईद इस हमले का मास्टरमाइंड था।

बता दें कि भारत लंबे समय से यह कहता आ रहा है कि मुंबई के 2008 आतंकी हमले में हाफिज सईद का हाथ है और इस संदर्भ में पाकिस्तान को पुख्ता सबूत भी मुहैया कराए गए थे लेकिन पाकिस्तान ने भारत का सपोर्ट करने की बजाय हाफिज को सुरक्षा मुहैया कराई।

मुंबई हमला मामले में लश्कर-ए-ताइबा के 7 आतंकियों जकीउर रहमान लखवी, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम के खिलाफ 2009 से ही हत्या के लिए उकसाने, हत्या की कोशिश, मुंबई हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का मुकदमा चल रहा है। लश्कर सरगना लखवी को छोड़कर बाकी सभी छह आतंकी रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।

जमानत पर बाहर है मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड लखवी, जुटा रहा है फंड

मुंबई के 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) कमांडर का मुख्य नेता जकी-उर रहमान लखवी 2015 में लाहौर हाईकोर्ट से जमानत मिलने के तीन साल बाद बाहर है।

वह पंजाब प्रांत में आतंकी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर गेहूं किसानों से चंदा इकट्ठा कर रहा है। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार भारत में मोस्ट वांटेड आतंकी लखवी अप्रैल 2015 में रावलपिंडी की अदियाला जेल से बाहर आने के बाद लोगों की नजरों से बचकर आतंकी संगठन की कमान संभाले हुए है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिकॉर्डिंग से खुली थी पाक की कलई

मालूम हो कि अमेरिकी एजेंसियों ने वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) तकनीक के जरिये करांची के कंट्रोल रूम से इन आतंकियों को निर्देश दिए जाने संबंधी बातचीत रिकॉर्ड कर लिया था।

कसाब का इकबालिया बयान और अमेरिकी एजेंसियों की रिकार्डिंग लश्कर आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ ठोस सबूत तो बने, लेकिन 10 साल बीत जाने पर भी पाकिस्तान ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

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