नागरिकता कानून: जामा मस्जिद पर शुक्रवार को होगा विशाल प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरोध में दो बार झुलस चुकी दिल्ली में शुक्रवार को ऐतिहासिक जामा मस्जिद पर एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। इस प्रदर्शन में लाखों लोगों की भीड़ जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है। योजना के मुताबिक दलित युवा और मुस्लिम समाज के कई शीर्ष नेता जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे और नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 और एनआरसी का विरोध करेंगे। इसके बाद जामा मस्जिद से जंतर-मंतर तक एक मार्च निकालने की योजना है। इस मार्च के दौरान भी सभी प्रदर्शनकारियों के हाथों में संविधान की प्रतियां होगी। ये इस बात का संकेत होगा कि प्रदर्शनकारी संविधान की मूल आत्मा को बचाए रखने के पक्ष में हैं। इसके जरिए केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को वापस लेने की अपील की जाएगी।
जामा मस्जिद और लालकिले के आसपास धारा 144
इसके पहले दिल्ली में इस मुद्दे पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और सीलमपुर-जाफराबाद में दो प्रदर्शन किये जा चुके हैं। दोनों ही प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और आगजनी हुई थी। ऐसे में जामा मस्जिद के बड़े प्रदर्शन के दौरान शांति बनाये रखना दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के तौर पर पहले ही जामा मस्जिद एरिया में फ्लैग मार्च किया है।
शांति बनाये रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने जामा मस्जिद और लालकिले के आसपास धारा 144 लगा दी है, जिसके अंतर्गत एक जगह पर भीड़ को एकत्र नहीं किया जा सकता। ऐसे में प्रदर्शनकारियों और पुलिस में टकराव की आशंका पैदा हो गई है।
शांति बनाये रखने का दावा
भीम आर्मी के मीडिया संयोजक कुश ने अमर उजाला को बताया कि इस प्रदर्शन में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण भी शामिल होंगे। यह आयोजन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा। सभी प्रदर्शनकारी बाबा साहब अंबेडकर के संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर चलेंगे और संविधान की मूल आत्मा को बचाए रखने की अपील करेंगे।
ऐसे में उनके सहयोगी राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी कोई बात नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शन में शांति बनाये रखने के उद्देश्य से बाहरी लोगों को इसमें भाग लेने के लिए नहीं बुलाया गया है।
शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भड़की थी हिंसा
गत शुक्रवार 13 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय के छात्रों ने एक्ट के विरोध में शांति मार्च निकाला था। इसके बाद छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। यह क्रम शनिवार और रविवार को भी जारी रहा। लेकिन प्रदर्शनकारियों की यह भीड़ रविवार (15 दिसंबर) को उग्र हो गई और उसने डीटीसी की कई बसों को आग के हवाले कर दिया।
दिल्ली पुलिस के जवानों पर भी पत्थरबाजी की गई। छात्रों का दावा है कि इस प्रदर्शन में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हिंसक कार्रवाई की।
विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना विश्वविद्यालय परिसर और लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को पिटाई की। कई छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं। पुलिस की इस कार्रवाई का राष्ट्रीय स्तर पर विरोध हुआ है और उसकी तीखी आलोचना हो रही है।
इसी प्रकार मंगलवार (17 दिसंबर) की दोपहर को पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में मार्च निकाला गया था। प्रदर्शनकारियों का दावा था कि यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया गया था। लेकिन इसी बीच कुछ अराजक तत्व घुस आये और उन्होंने इस एरिया में भी पत्थरबाजी और आगजनी की। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस चौकी को जला दिया और कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया।
हुईं कई गिरफ्तारियां
जामिया और सीलमपुर में अधिनियम के विरोध में आयोजित प्रदर्शनों में एक बात सामने आई है कि अराजक तत्व इन प्रदर्शनकारियों के बीच घुस जाते हैं और हिंसा करते हैं। जामिया की हिंसा में पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वे सभी विश्वविद्यालय के छात्र नहीं पाए गये हैं।
इसी प्रकार सीलमपुर की हिंसा के बाद भी गिरफ्त में आये सभी नौ लोग पहले से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त बताये गये हैं। इस क्रम को देखते हुए जामा मस्जिद के विशाल प्रदर्शन के दौरान शांति बनाये रखना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।
साथ ही, जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर कहा है कि इससे केवल बाहर से आने वाले मुसलमानों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी। लेकिन इस कानून से भारतीय मुसलमानों के अधिकारों पर कोई असर नहीं होगा।