नागरिकता बिल: असम में सामूहिक भूख हड़ताल, CM ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
असम समेत पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध जारी है। इसके खिलाफ अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने शुक्रवार को भूख हड़ताल की। मेघालय और त्रिपुरा में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं और जगह जगह प्रदर्शन हुए हैं। असम में स्कूलों और कालेजों को 22 दिसंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। हालात को ध्यान में रखते हुए राज्य में सेना की 26 टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं। राज्य में संवेदनशील इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। पड़ोसी मेघालय और त्रिपुरा में ऐहतियात में भी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। असम के अलावा दूसरे राज्यों के शहरों में भी बंद के हालात हैं। असम के गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में पहले से अधिक शांति है पर तनाव बना हुआ है। यहां के पेट्रोल पंपों और एटीएम मशीनों के बाहर लोगों की लंबी कतारें देखीं गईं। गुवाहाटी में आज सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है।
उसके बाद शहर के विभिन्न इलाकों में दुकानों के बाहर लंबी लंबी कतारें नजर आईं। असम पुलिस के एक प्रवक्ता ने बाद में कहा कि कर्फ्यू में ढील देने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है और पाबंदी लागू रहेगी। लेकिन सेना या सुरक्षा बल के जवानों ने न तो बाजार बंद कराया और न ही लोगों को जरूरी सामानों की खरीदारी से रोका।
राजस्थान: भारतीय नागरिकता लेने आए 15 शरणार्थी
राजस्थान के जैसलमेर में शुक्रवार को एक शिविर लगाया गया। इसमें पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा किया। जिला प्रशासन की ओर से यह शिविर आयोजित किया गया था। इस संबंध में स्थानीय एसडीएम ने कहा कि शिविर में 15 आवेदक आए हैं। हम संबंधित विभागों को एक मंच पर लाने के लिए ऐसे शिविरों का आयोजन समय-समय पर करते हैं।
भाजपा नेताओं की कार पर हमला
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पश्चिम बंगाल में भी हालात तनावपूर्ण हैं। बंगाल में भाजपा राज्य महासचिव सायंतन बासु और कंठी भाजपा (पूर्व मिदनापुर) के अध्यक्ष अनूप चक्रवर्ती की कार पर प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया। हालांकि, इसमें उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन गाड़ी क्षतिग्रस्त हुई है।
अमेरिकी दूतावास की अमेरिकी नागरिकों को यात्रा चेतावनी
भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अमेरिकी नागरिकों के लिए यात्रा चेतावनी जारी की है।
मीडिया पर हमले का आरोप
पुलिस पर एक स्थानीय टीवी चैनल प्राग न्यूज के दफ्तर में घुस कर उसके कर्मचारियों के साथ मारपीट का आरोप लगा है। चैनल के प्रबंध संपादक प्रणय बोरदोलोई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गुरुवार शाम छह बजे चैनल के दफ्तर में घुस कर कुछ कर्मचारियों के साथ मारपीट की।
फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के प्रयास
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के 106 ट्रनों को रद्द करने और विमान सेवाएं प्रभावित होने से फंसे यात्रियों को बाहर निकाला जा रहा है। ये यात्री हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर ही रुके हुए हैं। ये लोग रेल सेवाएं रुकने और विमान सेवाएं बाधित होने के कारण वहीं रुकने के लिए मजबूर हो गए थे। राज्य सरकार अतिरिक्त बसों का इंतजाम कर रही है ताकि ये लोग आगे का सफर बस से तय कर सकें। इन लोगों को खाना और पानी मुहैया कराया जा रहा है।
सावधानी बरत रहे हैं सुरक्षा बल
सेना और सुरक्षा बल के जवान गुवाहाटी में फ्लैग मार्च कर रहे हैं क्योंकि यह क्षेत्र नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने का केंद्र बना हुआ है। गुवाहाटी में हर जगह सुरक्षा बल के लोग ही नजर आ रहे हैँ पर उन्होंने न तो बाजार बंद कराए और न ही वाहनों के आवागमन को लेकर लोगों से सवाल किए।
ममता ने कहा दोहराया नहीं लागू होगा ये कानून
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि वह इस कानून को राज्य में लागू नहीं करेंगी चाहें कुछ भी हो जाए। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने कहा कि भगवा दल, इसे लागू करने के लिए राज्यों पर किसी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता
सोनेवाल ने कहा कि कठोर कार्रवाई की जाएगी
असम के सीएम सर्बानंद सोनेवाल ने शुक्रवार को कहा कि हिंसा में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तोड़फोड़ की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि वह स्थानीय लोगों के अधिकार संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने छात्रों के माता पिता से अपील करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को हिंसक आंदोलन में भाग लेने से रोकें।
नगालैंड में परचून दुकानों पर भीड़
नगालैंड के कोहिमा और दीमापुर में खाने पीने के सामान की दुकानों पर शुक्रवार को खासी भीड़ देखी गई। राज्य में हार्नबिल उत्सव के चलते इस ओर लोगों का ध्यान अधिक नहीं था पर अब यहां के लोगों को आशंका है कि असम के तनावपूर्ण हालात को देखते हुए उनके यहां खाने पीने की सामग्री की आपूर्ति कम हो सकती है।
शिलांग में कर्फ्यू में ढील
मेघालय के शिलांग में शुक्रवार को कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी गई। क्षेत्र में किसी प्रकार की अप्रिय घटना दर्ज नहीं होने को देखते हुए सुबह दस बजे से ये ढील दी गई। यहां बृहस्पतिवार रात कर्फ्यू लगाया गया था। यहां की नेशनल पीपुल्स पार्टी की नेता और तूरा सांसद अगाथा के संगमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि समूचा पूर्वोत्तर इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाए।
पुर्तगाली पासपोर्ट वाले गोवा के लोगों पर असर नहीं
गोवा में एनआरआई कमीशन ने स्पष्ट किया है कि गोवा के ऐसे निवासी जिनके पास पुर्तगाल का पासपोर्ट है उन पर इस कानून का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसे लेकर गोवा कांग्रेस ने राज्य सरकार से सवाल किया था। गौरतलब है कि कि गोवा और देश के कुछ अन्य इलाके लंबे समय तक पुर्तगाल के नियंत्रण में रहे थे।
शिवसेना ने कहा, ये कैसी सियासत
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि नए कानून से वह यह दिखाना चाहते हैं कि वे हिंदू को बचाने में अकेले ही हैं, ये किस तरह की राजनीति है। सरकार को हिंदुओं का ख्याल है तो फिर वह कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर घाटी क्यों नहीं भेज सकी है।
इमरजेंसी से भी खराब हैं हालात: गोगोई
असम के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने कहा कि पूर्वोत्तर में इस समय हालात आपातकाल से भी खराब हैं। केंद्र सरकार को पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है।
पूर्वोत्तर में हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण: भूटिया
फुटबालर से राजनीतिज्ञ बने बाईचुंग भूटिया ने पूर्वोत्तर में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कानून स्थानीय लोगों के लिए बड़ा खतरा है। हमारो सिक्किम पार्टी के संस्थापक भूटिया ने कहा कि हम यह बात लिखित में चाहते हैं कि सिक्किम को भी इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है।
ध्यान हटाने की राजनीति: कमलनाथ
एमपी के सीएम कमलनाथ ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह ध्यान हटाने की राजनीति कर रही है। यह सब देश की गिरती अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है। यह देश के युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं भोपाल में कांग्रेस विधायक आरिफ मोहम्मद ने कहा है कि नागरिकता कानून और एनआरसी को खारिज कर दिया जाए।
मायावती: दुष्कर्म पर सख्त कानून बनाने में नहीं दिखी जल्दबाजी
बसपा प्रमुख और यूपी की पूर्व सीएम ने कहा है कि इस बिल को पास कराने हेतु केन्द्र ने जितनी जल्दबाजी दिखाई है यदि उतनी ही इनको देश में महिला उत्पीड़न व दुष्कर्म-मर्डर आदि पर अंकुश लगाने हेतु सख्त कानून बनाने पर भी दिखाई होती, तो यह बेहतर होता। इस संबंध में राज्यों को केवल पत्र लिखने की खानापूर्ति करने से इसका कोई सार्थक हल निकलने वाला नहीं है।