नई दिल्ली : नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को अलग कर लिया है। गोगोई ने कहा कि वह चयन समिति के सदस्य हैं, ऐसे में इस मामले की सुनवाई में उनका शामिल होना उचित नहीं होगा। प्रधानमंत्री, विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता और सीजेआई या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत का कोई न्यायाधीश इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा होते हैं। नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने के खिलाफ कॉमन कॉज़ नाम के एक एनजीओ ने याचिका लगाई थी, इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिश के आधार पर नहीं की गयी है। याचिका के अनुसार नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को निरस्त कर दिया था, लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुये और डीएसपीई कानून का ‘पूरा उल्लंघन’ करते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी। सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था।
इससे पहले पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य के प्रति लापरवाही के आरोपों के कारण जांच एजेंसी के प्रमुख के पद से हटा दिया था। इस समिति में प्रधानमंत्री अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सीजेआई रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में जस्टिस एके सीकरी भी थे। सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर कमेटी की बैठक गुरुवार को होनी है। इस बैठक में एजेंसी के नए निदेशक के लिए संभावित नामों पर चर्चा होगी। अधिकारियों ने बताया कि इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा सीजेआई रंजन गोगोई या उनके प्रतिनिधि और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल होंगे।