हरिद्वार: नाबालिग बच्चों के हाथ में वाहन सौंपने वाले माता-पिता को हरिद्वार कोर्ट ने सख्त संदेश दिया है। यहां नाबालिग बेटी को स्कूटी चलाने के लिए देना एक पिता को महंगा पड़ गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण वोहरा ने पिता पर 27.5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही एक दिन की सजा सुनाते हुए दिन भर कोर्ट रूम में बैठाए रखा। कोर्ट का काम-काज समाप्त होने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन के बाद लागू हुए नये नियमों के तहत हरिद्वार में कोर्ट से तय किया गया यह अभी तक का सबसे अधिक जुर्माना और सजा है।
ज्वालापुर आर्यनगर निवासी एक किशोरी तीन दिसंबर को दोपहर के समय भेल के सेक्टर-एक से स्कूटी से जा रही थी। उसी दौरान सिटी पेट्रोलिंग यूनिट (सीपीयू) प्रभारी दिनेश सिंह पंवार मार्ग पर वाहन चेकिंग कर रहे थे। नाबालिग लड़की को स्कूटी चलाता देख उन्होंने किशोरी को रोक लिया। चालान कटने पर किशोरी के पिता ने उसे समाप्त कराने के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण कुमार वोहरा की अदालत ने किशोरी के स्कूटी चलाने के अपराध के लिए 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
अन्य धाराओं को मिलाकर कुल 27, 500 रुपए जुर्माना लगाया गया है। इसके अतिरिक्त किशोरी के पिता को एक दिन की सजा भी सुनाई है। संशोधन के बाद लागू हुए मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन पर देश भर में भारी भरकम जुर्माने के कई मामले सामने आए, लेकिन हरिद्वार में अपनी तरह का यह पहला मामला है। जिसमें नाबालिग के पिता को कोर्ट ने एक दिन की सजा दी।
चालान में थी कई धाराएं
सीपीयू की ओर से स्कूटी का चालान काटते हुए नाबालिग के वाहन चलाने के साथ ही, ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन के अन्य दस्तावेज न होने पर भी जुर्माना और एमवी एक्ट की धाराएं लगाई गई थी। इन धाराओं को जोड़ते हुए कोर्ट ने कुल जुर्माना लगाया है। इन दिनों सीपीयू और यातायात पुलिस के अलावा परिवहन विभाग ने भी नाबालिगों को वाहन देने वाले अभिभावकों के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है।