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नाबालिग से रेप के मामले में दोषी को मिले ‘सजा-ए-मौत’: उत्तराखंड हाईकोर्ट

नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसा कानून लाने का सुझाव दिया है जिससे नाबालिगों से दुष्कर्म करने वाले को मृत्युदंड दिया जाए ताकि ऐसे अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश जाए । न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की पीठ ने पिछले साल निचली अदालत द्वारा एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। जून 2016 में आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के लिए व्यक्ति को सजा सुनाई गई थी। हालिया वर्षों में बच्चों के खिलाफ अपराध में जबरदस्त बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि उपयुक्त कानून लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है जिससे 15 साल या कम उम्र के नाबालिगों से दुष्कर्म के दोषियों पर मृत्युदंड लगाया जा सके। कोर्ट ने कहा कि सख्त कार्रवाई की जरूरत है क्योंकि कई मामले आ रहे हैं जहां 15 साल या उससे कम के पीड़ितों से दुष्कर्म कर हत्या कर दी जाती है।
यह है मामला
साल 2016 में रुद्रपुर में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी। जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ वह अपने परिवार के साथ 25 जून 2016 को एक जागरण पर गई थी। 26 जून को सुबह लड़की जागरण के बाद घर वापस नहीं लौटी तो FIR लिखाई गई। बाद में लड़की की लाश को एक खेत से बरामद किया गया। मेडिकल जांच के बाद पता चला की लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और दम घुटने से उसकी मौत हुई है। मामले की छानबीन के दौरान कई लोगों ने लड़की को आरोपी करणदीप शर्मा के साथ देखने की पुष्टि की और कई और सबूत के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ कहा और नाथू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले को अपने फैसले का आधार बनाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को 14 साल की लड़की के साथ हुए रेप के लिए मौत की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ऐसे मामलों में शामिल लोगों को कठोर सजा देने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की। अगर राज्य सरकार हाईकोर्ट की इस सिफारिश को मानकर इस पर अमल करती है तो उत्तराखंड, मध्य प्रदेश के बाद दूसरा ऐसा राज्य होगा जहां नाबालिगों के साथ बलात्कार करने पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया जाएगा।

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