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नासा के 12 नए अंतरिक्षयात्रियों में एक भारतीय का भी चयन

नासा ने अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए 12 नए अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया है. इन नए अंतरिक्षयात्रियों में एक भारतीय अमेरिकी भी है. नासा ने ये चुनाव रिकॉर्ड 18300 आवेदकों के बीच किया है. नासा ने इन अंतरिक्षयात्रियों का चयन धरती की कक्षा से गहरे अंतरिक्ष में अध्ययन के लिए किया गया है. इसके अनुसार इन्हें अब ट्रेनिंग दी जाएगी.

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नासा के 12 नए अंतरिक्षयात्रियों में एक भारतीय का भी चयननासा द्वारा चुने गए लोगों में से 7 पुरुष और 5 महिलाएं हैं. ये पिछले 20 सालों सबसे बड़ा ग्रुप अंतरिक्ष मिशन पर जाने के लिए चुना गया है. चुने गए 12 लोगों में 6 सेना के अधिकारी, 3 वैज्ञानिक, 2 मेडिकल डॉक्टर और एक स्पेसएक्स का इंजीनियर है. इसके अलावा इस टीम में एक नासा का रिसर्च पायलट भी होगा. इन चुने गए लोगों में एक भारतीय अमेरिकी भी हैं उनका नाम राजा गिरिंदरचारी है.

लेफ्टिनेंट कर्नल राजा ग्रिंदर चारी 39 साल के हैं. वह 461वें फ्लाइट टेस्ट स्कवाड्रन के कमांडर और कैलिफोर्निया में एडवर्ड एयरफोर्स बेस पर एम 35 इंटीग्रेटेड टेस्ट फोर्स के डायरेक्टर भी हैं. चारी वाटरलू में रहते हैं और उन्होंने एमआईटी से एयरोनॉटिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी. इसके अलावा यूएस नेवल टेस्ट पायलट स्कूल से ग्रेजुएशन किया. चारी के पिता भारतीय हैं.

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नासा के एक बयान के मुताबिक, नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों का चयन 18,300 आवेदकों में से किया गया है, जो अगस्त महीने से अंतरिक्ष यान प्रणाली, स्पेसवाकिंग स्किल्स, टीमवर्क, रूसी भाषा तथा अन्य जरूरतों का प्रशिक्षण लेंगे. बयान के मुताबिक, “दो साल का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में मिशन से संबंधित शोध कार्य में लगाया जा सकता है.” नासा ने कहा, “अमेरिका में पहले से कहीं अधिक संख्या में मानव अंतरिक्ष यानों का विकास हो रहा है, भविष्य के अंतरिक्ष यात्री लोगों को पहले से कहीं अधिक तेजी से अंतरिक्ष में ले जाएंगे.”

नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों ने दिसंबर 2015 से फरवरी 2016 के बीच आवेदन किया था. अंतरिक्ष एजेंसी की मंशा चंद्रमा के चारों ओर की कक्षा में क्रू लॉन्च करने की है. इसके साथ ही मंगल ग्रह के मिशन पर भी विचार किया जा रहा है, जिसे जॉन कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा. रॉकेट का परीक्षण पहली बार बिना किसी चालक दल के साल 2019 में किया जाएगा, जबकि चालक दल के साथ लगभग 2022 में इसकी लॉन्चिंग होगी.

 

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