ना होंं हताश आप हरा सकते हैं कैंसर को, पर ये बातें जाननी है बेहद जरूरी
सहज शब्दों में कहें, तो कैंसर शरीर में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का एक समूह है। कैंसर शरीर के अंग विशेष से अन्य भागों में भी फैल सकता है। अगर शरीर में तेजी से बढ़ने वाली कोई गांठ हैं, तो वह कैंसर हो सकती है। वहीं जो गांठ तेजी से नहीं बढ़ती, उसमें कैंसर होने की आशंका कम होती है। मस्तिष्क में तेजी से बढ़ने वाली गांठें ट्यूमर कहलाती हैं। ध्यान दें कि हर गांठ कैंसर नहीं होती। इसलिए जब तक जांच न हो जाए तब तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए कि हर गांठ कैंसरस है।
कैंसर शरीर के किसी भाग में हो सकता है। देश में सबसे ज्यादा मुख या मुंह कैंसर के मामले सामने आते हैं। कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार देश में होने वाले सभी प्रकार के कैंसरों में लगभग 25 से 30 फीसदी मामले मुख कैंसर से ही संबंधित होते हैं। मुख कैंसर होने का एक प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन और धूम्रपान है। जिन लोगों को कैंसर है, उन्हें शराब एवं धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा खानपान में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें। हरी सब्जियों और मौसमी फलों को आहार में वरीयता देना चाहिए।
कैंसर और महिलाएं
महिलाओं में कैंसर के अधिकतर मामले गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर से संबंधित होते हैं। इसके बाद उनमें स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के मामले कहीं ज्यादा सामने आते हैं। सर्वाइकल कैंसर का सामान्य कारण ह्यूमैन पैपिलोमा वाइरस(एच पी वी) को माना जाता है। इस कैंसर में शारीरिक संपर्क के दौरान पीड़ित महिला को अत्यधिक दर्द होता है और प्रजनन अंग से रक्तस्राव भी हो सकता है। अगर युवा विवाहित महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श पर एच पी वी वैक्सीन लगवा लेती हैं, तो सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। युवा विवाहित महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श पर समय-समय पैप स्मियर जांच अवश्य करानी चाहिए। अगर पैप स्मियर जांच रिपोर्ट असामान्य आती है, तो फिर कॉल्पोस्कोपी जांच जरूर करानी चाहिए। महिलाओं के स्तनों में होने वाली हर गांठ कैंसर नहीं होती। इसलिए अगर किसी महिला को गांठ सरीखा कुछ महसूस हो, तो उसे इस बारे में विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर मैमोग्राफी नामक जांच करानी चाहिए। समय रहते सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का अब पूरी तरह से इलाज संभव है।
डॉ. निकिता त्रेहन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और लैप्रोस्कोपिक सर्जन, दिल्ली
इन बातों पर दें ध्यान
- विविध प्रकार के कैंसरों की रोकथाम इस बात पर निर्भर करती है कि समय रहते शुरुआती दौर में इनका पता लग जाए। समय रहते कैंसर की शुरुआती अवस्था में ही इसका पता चलने पर इलाज आसान हो जाता है।
- अगर कोई शख्स कई दिनों से शारीरिक रूप से असहज व असामान्य महसूस कर रहा है, तो उसे शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- 50 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों को साल में एक बार प्रोस्टेट स्पेशिफिक एंटीजेन (पीएसए) टेस्टिंग करानी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि 50 साल की उम्र के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
- कोलोरेक्टल कैंसर (बड़ी आंत का कैंसर) का पता करने के लिए मल(स्टूल) का अॅकल्ट ब्लड टेस्ट कराया जाता है।
- एचसीवी वाइरस से होने वाले हेपेटाइटिस से बचाव करें।
- कुछ महिलाओं में अंडाशय (ओवरी) और स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है।
- महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए पैप स्मियर टेस्ट और कॉल्पोस्कोपी नामक जांचें करायी जाती हैं।
- स्वास्थ्यकर आदतों पर अमल करें।
- पौष्टिक स्वास्थ्यवद्र्धक खान-पान ग्रहण करें। आहार में हरी सब्जियों और मौसमी फलों को शामिल करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत डालें।