निकाय चुनाव में लगभग आधे भाजपाइयों की जब्त हुई जमानत
लखनऊ : उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा को भले ही बड़ी जीत मिली हो, लेकिन कई सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। इस चुनाव में भाजपा को पिछले निकाय चुनाव से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। इस बार भाजपा के 3,656 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है, जबकि 2,366 सीट पर उसके उम्मीदवार जीते हैं। निकाय चुनाव में भाजपा द्वारा जीती गई सीटों की अपेक्षा हारी हुई सीटों की संख्या ज्यादा है। 45 फीसदी भाजपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। यह संख्या दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों से भी ज्यादा है। आंकड़ों के अनुसार निकाय चुनाव के तीनों चरणों में भाजपा की सभी सीटों को मिलाकर उनकी जीत का औसत 30.8 फीसदी बैठता है। नगर पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा को केवल 11.1 फीसदी सीटों पर ही सफलता हासिल हुई है। भाजपा ने उप्र निकाय चुनाव में दूसरी पार्टियों की अपेक्षा सबसे ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए थे।
भाजपा ने कुल 12,644 सीटों पर 8,038 उम्मीदवार खड़े किए थे। इनमें से लगभग आधी सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। नगर पंचायत सदस्य चुनाव में भाजपा के 664 उम्मीदवार जीते हैं, लेकिन हारने वाले उम्मीदवारों की संख्या (1,462) जीतने वालों से ज्यादा है। जमानत जब्त होने के मामले में भी भाजपा उम्मीदवार दूसरों से आगे। समाजवादी पार्टी (एसपी के 54, बीएसपी के 66 और कांग्रेस के 75 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। हालांकि भाजपा के नगर पालिक परिषद और नगर पंचायत सदस्य में कम उम्मीदवारों के जीतने का एक कारण यह भी है कि भाजपा ने कम उम्मीदवार उतारे थे। नगर पालिका परिषद में भाजपा ने दो-तिहाई और नगर पंचायत चुनाव में लगभग 50 फीसदी सीट पर ही उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इन आंकड़ों की अगर सन 2012 के यूपी नगर निकाय चुनाव से तुलना करें तो एसपी और बीएसपी दौड़ में शामिल नहीं थी। मुकाबला सिर्फ भाजपा, कांग्रेस, छोटी पार्टियों और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच हुआ था। वहीं सन 2006 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 40 फीसदी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से उसे 13 फीसदी सीटों पर जीत मिली थी। उत्तर प्रदेश के 16 शहरों में मेयर के चुनाव में भाजपा को 41 फीसदी मत मिले हैं। यह आंकड़ा सन 2014 के लोकसभा चुनाव से कम है। सन 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा को 48.5 फीसदी वोट मिले थे।