निमोनिया-डायरिया न बनें जानलेवा, समझें इसके लक्षण
निमोनिया व डायरिया वैसे तो सामान्य बीमारियां मानी जाती हैं लेकिन भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सर्वाधिक मृत्यु इन रोगों के कारण ही हो रही है। भारत में वर्ष 2015 में ही करीब 3 लाख बच्चों को इनके कारण जान गंवानी पड़ी है। हाल ही एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक रोग के लक्षणों को न समझ पाना व सही समय पर उपचार न मिल पाना इसकी वजह हैं। जानते हैं इन बीमारियों के बारे में-
प्रमुख कारण
डायरिया: दूषित भोजन व पानी, साफ-सफाई की कमी, छह माह तक ब्रेस्ट फीड कम कराना।
निमोनिया: बैक्टीरिया के संक्रमण, वातावरण में प्रदूषण, कुपोषण आदि।
लक्षणों से करें पहचान
डायरिया: बार-बार दस्त, अत्यधिक प्यास, आंखें चढऩा, कम यूरिन, जीभ सूखी व हाथ-पैर ठंडे पडऩा आदि। परेशानी बढऩे पर रक्तसंचार बाधित होकर अंग में विकार भी आ सकता है।
निमोनिया: जुकाम, बुखार, सांस लेने में दिक्कत। गंभीर स्थिति में बेहोशी, दौरे किसी अंग में विकार या जान भी जा सकती है।
निमोनिया में रखें खयाल
डेढ, ढाई और साढ़े तीन माह में एच इनफ्लूएंजा व न्यूमोकोकल का वैक्सीनेशन जरूर करवाएं।
दिन में कमरे की खिड़कियां आदि खोलकर रखें ताकि दूषित वायु बाहर निकल सके।
बच्चे को पोषक तत्त्वों से भरपूर आहार जैसे फल, हरी सब्जियां, दूध व दूध से बने पदार्थ दें।
कुछ बनाते या खिलाते समय साफ-सफाई का विशेष खयाल रखें।
अधिक मसालेदार व तली-भुनी चीजें खाने को न दें।
जुकाम, बुखार के साथ यदि सांस की गति तेज हो तो देर किए बगैर विशेषज्ञ से परामर्श करें।
डायरिया से बचाव के लिए
छह माह तक बच्चों को केवल ब्रेस्ट फीड करवाएं। इसके अतिरिक्त कुछ भी न दें। इससे उसे शरीर के मुताबिक पोषण मिलता रहेगा।
नवजात को रोटावायरस का टीका ढाई व साढ़े तीन महीने पर जरूर लगवाएं।
हरी-सब्जियां, फैट, कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, मिनरल्स कैल्शियम व आयरन से भरपूर चीजें दें।
कुछ बनाते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें। ताजा चीजें ही खिलाएं, बासी या रखी हुई न दें।
फल देते समय अच्छे से धोएं व खुला रखा जूस, दूध या कोई अन्य पदार्थ न दें।
बच्चा कुपोषित कब?
कुपोषित बच्चों में निमोनिया के गंभीर होने की आशंका ज्यादा रहती है। हम अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन इसके वास्तविक पैमाने के बारे में नहीं जानते। विशेषज्ञ के मुताबिक जिन बच्चों का वजन उम्र के अनुसार न होकर 20 प्रतिशत तक कम हो, साथ ही हाथ-पैर पतले हों तो उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है।
यह होना चाहिए वजन
नवजात : 2.5-3.5 किलो
6 माह : 7.5-8.5 किलो
1 साल 9-10 किलो
2 साल 11-12 किलो
3 साल 13-14 किलो
4 साल 15-16 किलो
5 साल 19-20 किलो
एक्सपर्ट राय: लक्षण की पहचान न होने व सही समय पर इलाज न मिलने से ये बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। उपरोक्तलक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही जन्म के समय से बच्चे के वैक्सीनेशन का खयाल रखें।