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नीरव मोदी ने PNB से मिली रकम से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदी: ईडी

नीरव मोदी ग्रुप ने फर्जी तरीके से जो रकम पंजाब नैशनल बैंक के जरिए जुटाई थी, उसके एक हिस्से का इस्तेमाल विदेश में अचल संपत्ति खरीदने में किया गया था। मोदी ग्रुप ने पीएनबी की ओर से जारी की गई गारंटी के जरिए भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से पैसे हासिल किए थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का मानना है कि इसमें से कुछ रकम से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदी गई।नीरव मोदी ने PNB से मिली रकम से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदी: ईडी

ईडी के सूत्रों ने बताया कि जांच की इस दिशा से एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट के लिए संभवत: उन देशों से अपराध के जरिए हासिल संदिग्ध रकम को रिकवर करने में आसानी हो सकती है, जहां मोदी के बिजनस इंट्रेस्ट हैं। एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट ने ऐसे 13 देशों की पहचान की है। ईडी की अदालत ने इन देशों में अपने समकक्षों को लेटर्स रोगेटरी भेजकर जांच में उनकी मदद मांगी है। 

धोखाधड़ी से हासिल रकम को प्रॉपर्टी में लगाए जाने के अलावा इस रकम का एक हिस्सा मोदी की कंपनियों ने विदेशी बैंकों से लिए गए उधार को चुकाने में भी किया था। एक सूत्र ने बताया, ‘हमारे पास यह मानने का आधार है कि मोदी की कंपनियों ने पंजाब नैशनल बैंक से जारी किए गए लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से जुटाई गई रकम से विदेशी लेंडर्स के लोन सेटल किए।’ जिन 13 देशों को लेटर्स रोगेटरी भेजे गए हैं, उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, हॉन्ग कॉन्ग, यूएई, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका, मलयेशिया, आर्मीनिया, फ्रांस, चीन, जापान, रूस और बेल्जियम शामिल हैं। 

प्रवर्तन निदेशालय ने 12,700 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले के मामले में दो एन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट्स (ईसीआईआर) फाइल की हैं। ये पुलिस एफआईआर की तरह होती हैं। एक ईसीआईआर में नीरव मोदी ग्रुप का नाम है, जिस पर पीएनबी का कथित रूप से 6,500 करोड़ रुपये बकाया है। दूसरी ईसीआईआर मेहुल चौकसी के नियंत्रण वाले गीतांजलि ग्रुप से जुड़ी है, जिस पर अब तक 6138 करोड़ रुपये की देनदारी निकली है। 

जांच एजेंसियों के अनुसार मोदी, उसके मामा मेहुल चोकसी और उनके नियंत्रण वाली कंपनियों ने पीएनबी के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं के नाम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स इस नाम पर जारी कराए थे कि उनके आधार पर मिलने वाली रकम का उपयोग रफ डायमंड्स के सप्लायर्स को भुगतान में किया जाएगा। हालांकि एजेंसियों का आरोप है कि इस रकम के जरिए बमुश्किल ही कोई आयात किया गया, जिससे यह शक पैदा हो रहा है कि ये आपूर्तिकर्ता कंपनियां फर्जी होंगी।

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