शनिवार, 4 जुलाई 2015
आप नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपको सावधान करने के लिए है। नेटबैंकिंग के लिए रजिस्टर्ड फोन अगर खामोश हो जाए तो उसे हल्के में न लें। ऐसे मामले सामने आए हैं जब रजिस्टर्ड नंबर का डुप्लीकेट सिम हासिल कर जालसाजों ने पासवर्ड बदला और खाते से रकम उड़ा ली। जानिए यह सब जालसाजों ने कैसे किया…पहले केस में आशियाना इलाके में रिटायर्ड इंजीनियर के खाते से सितंबर 2014 में 1.40 लाख रुपये निकाल लिए गए। उन्होंने इसकी पुलिस में कम्प्लेंट दर्ज कराई। क्राइम ब्रांच टीम की जांच में खुलासा हुआ कि रिटायर्ड इंजीनियर के परिचित ने ही रकम उड़ाई। उसने पहले उनके खाते की जानकारी हासिल की। उनके एड्रेस प्रूफ हासिल किए। इसी दस्तावेज से डुप्लीकेट सिम हासिल कर खाते में सेंध मार दिया। दूसरे केस में गोमतीनगर में डिप्टी कमिश्नर स्तर के एक अफसर की पत्नी के खाते से अक्तूबर 2014 में दो बार में 1.55 लाख रुपये उड़ा दिए गए। क्राइम ब्रांच की अब तक की जांच में सामने आया कि इसमें भी जालसाजों ने उसी तरीके से रकम पार की जिस तरह से रिटायर्ड इंजीनियर के खाते से पार की गई थी। नेटबैंकिंग में सेंध मारने के ये दो मामले कई सीख देते हैं। पहली और सबसे जरूरी सबक-किसी से कितना भी मेलजोल हो अपने खाते के बारे में जानकारी कतई न दें। दूसरा, अपने जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें। तीसरा, नेटबैंकिंग से जुड़ा फोन किसी को न दें। अगर फोन एकाएक खामोश हो जाए और उसका सिम रजिस्ट्रेशन फेल बताने लगे तो भी अलर्ट हो जाएं।