एक नेत्रहीन दूसरे नेत्रहीन की मदद की जगह दुष्कर्म जैसा घिनौना अपराध को अंजाम देगा यह न तो सुना होगा और न ही सोचा होगा। जिला अदालत ने इस मामले में आवाज पर हुई आरोपी की पहचान पर दोषी को सजा दी है। नेत्रहीन महिला से नेत्रहीन आरोपी द्वारा दुष्कर्म किए जाने के मामले में सोमवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी यादव की स्पेशल अदालत ने दोषी की सजा पर बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। अदालत ने दोषी द्वारा रहम की गुहार पर ध्यान देते हुए भादंस की धारा 376 (2एन) के तहत दोषी को 10 साल की कैद व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। 10 हजार रुपये जुर्माने में से पीड़िता को मुआवजे के रूप में 8 हजार रुपये देने के आदेश अदालत ने दिए हैं।
दोषी को 10 साल की कैद व 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई
जिला न्यायवादी लाल सिंह यादव व सरकारी वकील अरविन्द शर्मा से प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को दोषी की सजा पर दोनों पक्षों की बहस हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दोषी की ओर से दलील देते हुए कहा कि वह अंधा है, एमए तक पढ़ा है और पीएनबी में नौकरी भी करता है, इसलिए उस पर रहम किया जाए।
अधिवक्ताओं का कहना है कि भादंस की धारा 376 (2एन) में स्पष्ट है कि यदि शिकायतकर्ता महिला के साथ आरोपी दुष्कर्म की घटना को दोहराता है तो उसे कम से कम 10 साल व अधिक से अधिक आजीवन कारावास देने का प्रावधान है।
अदालत ने दोषी को 10 साल की कैद व 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि दिल्ली की नेत्रहीन महिला ने वर्ष 2015 में 18 नवंबर को मियांवाली नगर दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी।
दिल्ली पुलिस ने इस एफआईआर को सिविल लाइन थाना पुलिस गुरुग्राम को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया था। सिविल लाइन थाना पुलिस ने 25 नवंबर को एफआईआर नंबर 916 के तहत भादंस की धारा 376 पर मुकदमा दर्ज कर लिया था।
महिला को किसी वकील की तलाश थी
पीड़ित महिला ने अपने बयानों में कहा था कि वह नेत्रहीन विधवा है। वर्ष 2014 के जुलाई माह में उसके पति की मृत्यु हो गई थी। उसके 8 साल की एक पुत्री भी है। वह किसी निजी कंपनी में काम करती है। उसके पति की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई थी।
पति की मृत्यु का कारण जानने के लिए उसे किसी वकील की तलाश थी। उसके एक परिचित ने उसकी जान पहचान सौरभ नाम के एक युवक से करा दी थी। सौरभ ने उसे आश्वासन दिया था कि वह कई अच्छे वकीलों को जानता है। उनसे उसकी मुलाकात करवा देगा।
30 मई को सौरभ उसे वकील से मिलवाने का बहाना बनाकर गुरुग्राम ले आया। सौरभ भी नेत्रहीन है और वह दिल्ली में पीएनबी में कार्यरत है। वह उसे निजी गेस्ट हाउस में ले गया और महिला से दुष्कर्म किया।
समय समय पर सौरभ उससे पैसे भी ऐंठता रहा
सौरभ ने उसे आश्वस्त किया था कि वह उससे जल्दी ही शादी कर लेगा। महिला उसकी बातों में आ गई। उसके बाद सौरभ का यह सिलसिला चलता रहा और शादी की बात टालता रहा। समय समय पर सौरभ उससे पैसे भी ऐंठता रहा और ऐसे हजारों की धनराशि हड़प ली थी और अंत में शादी करने से भी इंकार कर दिया था।
अदालत में आरोपी की आवाज से पीड़िता द्वारा पहचान कराई गई थी। गत सप्ताह अदालत ने आरोपी सौरभ को दोषी करार देते हुए उसकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो अदालत ने सोमवार को सुना दिया।
अदालत में आवाज पर सुनाई थी सजा
मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता ने आरोपी की आवाज पहचानी थी जिस आधार पर उसे सजा दी गई।-अरविंद शर्मा सहायक जिला न्यायवादी गुरुग्राम
अदालत ने शिक्षा और अंधे होने के कारण दी दस साल की सजा
जानकारों का कहना कि बार-बार दुष्कर्म करने पर आरोपी को दस साल से उम्रकैद की सजा होती है। आम आरोपी को उम्र कैद मिलती है। अंधा होने के साथ-साथ नौकरी करने व पढ़ा लिखा होने के कारण उसे दस साल की सजा हुई।