नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने फिर भारत को कोसा, चीन को सराहा
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
काठमांडू : नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा कि कोई भी उनके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। संविधान का मसौदा तैयार करना उसका आतंरिक मामला है और वह इस मामले से खुद निपटना जानता है। नेपाली पीएम की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन के 13 नवंबर को दिए संयुक्त बयान के जवाब में आई है। संयुक्त बयान में भारत-ब्रिटेन ने कहा था कि नेपाल में संविधन स्थायी और समावेशी होना चाहिए। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में सिर्फ इस बयान पर ही प्रतिक्रिया नहीं दी है, बल्कि ईंधन, दवा और अन्य सामग्री की सप्लाई अघोषित तौर पर रोके जाने को लेकर भी भारत की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इंडिया की ओर से जो ब्लॉकेज की गई है, उससे यहां संकट पैदा हो रहा है। स्कूल के छात्रों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक सभी परेशान हैं। किसी को दवा नहीं मिल पा रही है, तो किसी को खाद्य सामग्री। केपी ओली ने कहा कि भारत की ओर से की गई ब्लॉकेज ने दोनों देशों के संबंधों पर नेगेटिव इम्पैक्ट डाला है। उन्होंने कहा कि इस समय देश में युद्ध जैसे हालात हैं। इसकी वजह से विकास का हर कार्य प्रभावित हो रहा है।
चीन की जमकर तारीफ की
केपी ओली ने ईंधन और अन्य जरूरी सामान नेपाल को मुहैया कराने के लिए चीन की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा,’ भविष्य में हम ट्रेड के लिए किसी एक राष्ट्र पर निर्भर नहीं रहेंगे। मौजूदा समस्या से हमें यही सबक मिला है। अब समय आ गया है कि हम आत्मनिर्भर बनें।’ ओली वादा किया कि उनकी सरकार साल में सोलर एनर्जी से 200 मेगावॉट बिजली पैदा करेगी। गौरतलब है कि नेपाल में इन दिनों मधेशी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि नए संविधान में उनके साथ न्याय नहीं किया है। इसी वजह से उन्होंने भारत-नेपाल सीमा को ब्लॉक कर दिया है। विरोध प्रदर्शनों के कारण भारत के ट्रक नेपाल नहीं जा पा रहे हैं, जिससे वहां ईंधन और अन्य जरूरी सामग्री की किल्ल्त हो रही है। हालांकि, भारत अपना रुख कई बार स्पष्ट कर चुका है, लेकिन नेपाल बार-बार यही आरोप लगा रहा है कि भारत सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है।