अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल में भारतीय ऊर्जा प्रस्ताव पर हंगामा

nepalकाठमांडू । नेपाल की विपुल जल संपदा के विकास के लिए भारतीय प्रस्ताव को लेकर देश में हंगामा मच गया है। राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह नेपाल के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। यहां बंद कमरे में हुई एक बैठक में नेपाल के कुछ पूर्व ऊर्जा मंत्रियों ने नेपाल के पनबिजली क्षेत्र को विकसित करने संबंधी भारतीय प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि यह नेपाल को एक और भूटान बनाने की तैयारी है। यह प्रस्ताव पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार के अंतिम समय में भेजा गया था। यह विवाद ऐसे समय में उठ खड़ा हुआ है जब भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 25 जुलाई से काठमांडू की यात्रा शुरू करने जा रही हैं। इस प्रस्ताव पर दो कारणों से हंगामा है। पहला प्रस्ताव गोपनीय है और यहां तक कि कुछ कैबिनेट मंत्री तक से उसे दूर रखा गया है। अब वे इसे सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। दूसरा यह कि इसे एक ऐसे प्रस्ताव के रूप में देखा जा रहा है जिससे भारत नेपाल के जल विद्युत क्षेत्र में राज करेगा। नेपाल में सैद्धांतिक तौर पर 83००० मेगावाट और तकनीकी व वित्तीय रूप से वहन योग्य 42 133 मेगावाट क्षमता सन्निहित है। इस विपुल संभावना के होते हुए भी देश में मौजूदा स्थापित क्षमता 73०.47 मेगावाट की है। असल में पिछले कुछ वर्षों में गंभीर बिजली संकट उत्पन्न हुआ है। नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी युनाइटेड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी ने भारतीय प्रस्ताव पर चिंता जताई है और इसके कुछ प्रावधानों को नेपाल के हितों के विरुद्ध करार दिया है।

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