राष्ट्रीय

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने हिमाचल सरकार को लगाई फटकार

national-green-tribunal-569736f53bb02_exlstनेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने हिमाचल प्रदेश सरकार को शिमला, कुल्लु, बद्दी, मंडी और सोलन जिले में ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) के निपटारे को लेकर अभी तक खाका तैयार नहीं करने के लिए फटकार लगाई है। ग्रीन बेंच ने सरकार से ठोस कचरे के संग्रहण, परिवहन और निस्तारण को लेकर विस्तृत खाका पेश करने को कहा है। वहीं, रोहतांग दर्रा को लेकर एनजीटी की सख्ती बरकरार है।

ग्रीन बेंच ने कहा कि अगले सीजन में भी व्यावसायिक गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा केंद्र ने एनजीटी को बताया कि हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रा के लिए इलेक्ट्रिक बसों को चलाने से संबंधित प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है। इसमें शुरुआती 25 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए केंद्र 75 फीसदी (37.5 करोड़ रुपये) स्वयं देगा। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।

जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। वहीं सुनवाई के दौरान ग्रीन बेंच ने प्राधिकरणों से कहा कि आखिर आप लोग ठोस कचरे की सफाई के लिए समुचित इंतजाम क्यों नहीं क र रहे हैं। वहीं एनजीटी ने यह भी साफ किया कि रोहतांग दर्रा में व्यावसायिक गतिविधियों को किसी भी सूरत में अनमति नहीं देंगे।

एनजीटी ने सुनवाई के दौरान प्राधिकरणों से कहा कि कभी हमें पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए। यह सभी जगह बेहद खूबसूरत हैं इसलिए इनसे रेवन्यू पैदा होता है। सुप्रीम कोर्ट आपको इन जगहों पर व्यावसायिक गतिविधियों को चलाने के लिए अनुमति दे सकता है लेकिन एनजीटी इस पर अनुमति नहीं देगा। अगले दस वर्ष बाद न ग्लेशियर होगा न रोहतांग।

एडवोकेट भक्ति परसीजा सेठी की याचिका पर भी एनजीटी ने कहा कि वह रोहतांग दर्रा के लिए किसी भी कामकाजी महिलाओं को ढील नहीं देंगे। किसी भी व्यक्ति के रोहतांग दर्रा पर रुकने से ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। भले ही यह कामकाजी महिलाएं गैर प्रदूषण वाली गतिविधियां करती हों लेकिन इनके जरिए भी जनित कूड़ा कौन हटाएगा। इसलिए हम किसी तरह की ढील नहीं देंगे।

Related Articles

Back to top button