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नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर डोभाल की दो टूक: पाक को उसी की जुबान में समझाएंगे

9f9c4853-a008-49b7-8bdf-2नई दिल्ली: नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह भारत के खिलाफ छिपकर चलाए जाने वाले ऑपरेशन्स को अंजाम देने या आतंकवाद को बढ़ावा देने से बचे। डोभाल के मुताबिक, पाकिस्तान को इस बात का अहसास नहीं हो पा रहा है कि उसकी आर्थिक तरक्की और स्टैबिलिटी के लिए ऐसा करना बेहद फायदेमंद और असरदार साबित हो सकता है। डोभाल ने कहा, ”जब तक ऐसा नहीं होता, भारत क्या कर सकता है? मेरे हिसाब से बस यही कि हम लगातार नेकनीयती के साथ पाकिस्तान को मनाते रहें। पाकिस्तान जो जुबान समझता है, उसी में हम उसे समझाएंगे। हमें उसे राजी करना ही होगा।”
 
डोभाल ने और क्या कहा?
 
डोभाल मंगलवार शाम इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया के सेमिनार में Ensuring peace in South Asia: Role of India टॉपिक पर बोल रहे थे। डोभाल के मुताबिक, ज्यादातर साउथ एशियाई देशों में सुरक्षा से जुड़े खतरे आंतरिक वजहों से हैं।
 
आतंकवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ”सिर्फ यही एक ऐसा खतरा है, जिसने एशिया के सभी देशों में पांव जमा लिया है। असल समस्या यह है कि इसकी पैदाइश कहां हुई है, यहां कहां पल-बढ़ रहा है? जहां यह सब कुछ हो रहा है, वो भी साउथ एशियाई रीजन का मेंबर है।” डोभाल का इशारा पाकिस्तान की ओर था।
 
डोभाल ने कहा, ”इस्लामिक टेररिज्म और जिहादी टेररिज्म सबसे बड़ा खतरा है। इससे बांग्लादेश, अफगानिस्तान, इंडिया, पाकिस्तान, श्रीलंका सभी प्रभावित हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसके समाधान के लिए आपसी सहयोग की जरूरत है। हालांकि, अफगानिस्तान और पाकिस्तान इसके केंद्र बनते जा रहे हैं। पाकिस्तान भी इस समस्या से जूझ रहा है, लेकिन वह कभी इसके हल के लिए आगे नहीं आया।”
 
डोभाल के मुताबिक, ”पाकिस्तान को लगता है कि आतंकवाद को बढ़ावा देकर या छिपकर किए जाने वाले एक्शन बेहद अच्छी सिक्युरिटी स्ट्रैटजी हैं, लेकिन यह बेहद ओछे नजरिए वाली रणनीति है। यह उनको ही नुकसान पहुंचाती है, जो इसे बढ़ावा देते हैं या इसका समर्थन करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वक्त गुजरने के साथ पाकिस्तान यह समझेगा।”
 
डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान ने कुछ ऐसे आतंकी ग्रुपों के खिलाफ एक्शन लिया है, जिससे पश्चिमी देशों के सुरक्षा हितों को खतरा है। हालांकि, भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर, जमात-उद-दावा, हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे संगठनों को उसका समर्थन मिल रहा है।
क्या है डोभाल की खूबी?
 
 6 साल पाकिस्तान में रह चुके हैं अंडरकवर एजेंट : 1968 के केरल बैच के आईपीएस अफसर अजीत डोभाल 6 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट रह चुके हैं। वे पाकिस्तान में बोली जाने वाली उर्दू सहित कई देशों की भाषाएं जानते हैं। एनएसए बनने के बाद वे सभी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों से दिन में 10 बार से ज्यादा बात करते हैं।
 
 म्यांमार में जवाबी कार्रवाई के आर्किटेक्ट : डाेभाल की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मणिपुर में उग्रवादी हमले के बाद डोभाल ने पीएम के साथ बांग्लादेश दौरा ऐन वक्त पर रद्द कर दिया था। डोभाल मणिपुर में इंटेलिजेंस इनपुट्स पर नजर रख रहे थे। उन्होंने सेना के साथ मिलकर बॉर्डर पार जाकर म्यांमार में मिलिट्री एक्शन का प्लान तैयार किया था।
 
 कश्मीरी उग्रवादियों का सरेंडर: जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और अमन चाह रहे लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल कई आतंकियों को मेनस्ट्रीम में शामिल करा चुके हैं। भारत विरोधी उग्रवादी कूकापर्रे को भारत का सपोर्टर बनाना डोभाल के बड़े अचीवमेंट्स में शामिल है।
 
 नॉर्थ-ईस्ट का एक्सपीरियंस: डोभाल जब आईबी में थे, तब उन्हें 1986 में नॉर्थ-ईस्ट में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने का एक्सपीरियंस है। उनका अंडरकवर ऑपरेशन इतना जबरदस्त था कि लालडेंगा उग्रवादी समूह के 7 में से 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के फेवर में कर लिया था। बाकी उग्रवादियों को भी मजबूर होकर भारत के साथ पीस एग्रीमेंट करना पड़ा था। हाल ही में नगालैंड में हुए पीस एग्रीमेंट में भी उनका रोल रहा।
 
 स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर : ऑपरेशन ब्लूस्टार के 4 साल बाद 1988 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक और अभियान ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया। मंदिर के अंदर दोबारा कुछ आतंकी छिप गए थे। बताया जाता है कि डोभाल ने आतंकियों को भरोसा दिलाया कि वे आईएसआई एजेंट हैं और मदद के लिए आए हैं। डोभाल ने आतंकियों के पास मौजूद हथियार और बाकी चीजों का मुआयना किया। बाद में पंजाब पुलिस को बाकायदा नक्शा बनाकर दिया। इस ऑपरेशन में डोभाल की भूमिका के चलते उन्हें देश के दूसरे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से नवाजा गया।
 
 कंधार प्लेन हाईजैक : 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान को जब हाईजैक कर कंधार ले जाया गया था, तब पैसेंजर्स की रिहाई की कोशिशों के पीछे डोभाल का ही दिमाग था। आतंकी अपने 40 साथियों को छोड़ने की मांग कर रहे थे। डाेभाल नेगोशिएट कर आतंकियाें की मांग को 40 से 3 पर ले आए।
 
क्या इस स्ट्रैटजी पर काम करते हैं डोभाल?
मोदी सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से तीन महीने पहले फरवरी 2014 में अजीत डोभाल ने ननी पालखीवाला मेमोरियल लेक्चर में बताया था कि देश की सिक्युरिटी के लिए तीन तरह की स्ट्रैटजी पर काम होना चाहिए – डिफेंसिंग, डिफेंसिंव-ऑफेंस और ऑफेंसिव।
 
 
जानिए, पिछले एक साल में सिक्युरिटी के प्रति देश की पॉलिसी में यह स्ट्रैटजी कैसे दिखाई दी-
 
1. डिफेंसिव : लोकसभा चुनाव के बाद जून 2014 से पाकिस्तान ने एलओसी पर फायरिंग तेज कर दी। जवाब में भारत भी डिफेंसिव फायरिंग करता रहा। भारत ने दुनिया को यह मैसेज देने की पूरी कोशिश की कि वह अपनी तरफ से संयम बरत रहा है।
 
2. डिफेंसिव-ऑफेंस : जब पाकिस्तान ने अक्टूबर में एलओसी पर सीजफायर तोड़ा तो भारत ने भी फायरिंग तेज कर दी। बताया जाता है कि इस स्ट्रैटजी के पीछे भी डोभाल का ही दिमाग था। केंद्र ने इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बताया। लेकिन पाकिस्तान सकते में आ गया। इसका उदाहरण इस बात से मिलता है कि भारी फायरिंग झेल रहे पाकिस्तान ने अपनी तरफ हो रहे नुकसान का कवरेज कर रहे मीडिया पर तुरंत रोक लगवा दी। अाईएसआई ने पाकिस्तानी चैनलों से कहा कि वे अगले ऑर्डर तक एलओसी के नजदीक हो रहे नुकसान की कोई भी फुटेज नहीं दिखाएंगे।
 
3. ऑफेंसिव : 4 जून को मणिपुर में के आतंकियों के हमले के बाद महज पांच दिन के अंदर इंडियन आर्मी ने म्यांमार सीमा के अंदर जाकर जवाबी कार्रवाई की। बाद में पाकिस्तान को कड़ा मैसेज भेजने के लिए चार मंत्रियों ने आक्रामक बयान दिए। घबराए पाकिस्तान ने जवाबी बयानबाजी की। इस तरह पाकिस्तान ने खुद ही दुनिया को बता दिया कि भारत के अगले निशाने पर वही है।

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