नई दिल्ली : 18 अगस्त को लोअर माल रोड का एक हिस्सा टूटकर नैनी झील में समा गया था। इससे पहले बचाव की उचित व्यवस्था हो पाती 25 अगस्त को दोबारा कुछ और हिस्सा टूट गया। तब से अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। अगर लोअर माल रोड का थोड़ा सा और हिस्सा धराशायी हुआ, तो अपर माल रोड को भी बचाना मुश्किल हो जाएगा। आईआईटी रुड़की के भूगर्भ वैज्ञानिक अपने सर्वे के दौरान 175 मीटर लोअर माल रोड के धराशायी होने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। वहीं 25 मीटर सड़क टूटने के बाद 140 मीटर लंबा और हिस्सा भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है|
वहीं “आईआईटी रुड़की के भूगर्भ वैज्ञानिकों” ने “लोअर माल रोड की मिट्टी” का सर्वे किया था। वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लोअर माल रोड का 175 मीटर लंबा हिस्सा मुलायम मिट्टी का है। यह मिट्टी बारिश और पानी के दबाव में आसानी से कट जाती है। अंदर ही अंदर पानी सड़क के नीचे के हिस्से को खोखला कर चुका है। खोखली जगह पर जब वाहनों का दबाव पड़ता है, तो वह नीचे बैठ जाती है। वहीं डीएम विनोद कुमार सुमन सोमवार को प्रगति की स्थिति देखने दोबारा मौके पर पहुंचे। यहां उन्होंने देखा कि काम रुका हुआ है। इस पर डीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने ठेकेदार से कारण पूछा तो पता चला कि जीओ बैग खत्म हो गए हैं, और काशीपुर से मंगवाए गए हैं। बैग आते ही काम दोबारा शुरू किया जाएगा। इसके बाद डीएम ने अपर माल रोड का काफी दूर तक पैदल चलकर निरीक्षण किया। उन्हें बताया, गया कि नाले का पानी झील की ओर रिस रहा है। जबकि हनुमानगढ़ी, टूटा पहाड़ और इंडिया होटल पर वाहनों को रोका गया। पुलिस ने वाहन चालकों को धीमी गति से चलने की हिदायत दी। एएसपी हरीश चंद्र सती ने खुद ही “भूधंसाव वाले स्थान चिन्हित” किए और वहां कोन लगवाए। पुलिस ने अपर माल रोड और राज भवन रोड पर कोन लगाकर लोगों को भूधसाव वाले स्थानों की ओर जाने से रोका। दिन भर पुलिस कर्मी जगह-जगह यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सड़कों पर तैनात रहे। राज भवन रोड को वनवे करने को लेकर सोमवार को नागरिकों और पुलिस के बीच विवाद हो गया। रोड पर वाहन खड़े हो जाने से जाम लग गया। बाद में पुलिस ने सभी को समझाकर वहां से हटाया| “फांसी गधेरे” पर भी एक युवक का पुलिस से रोड को वनवे करने को लेकर विवाद हुआ। इसको लेकर बीते दिनों “फांसी गधेरे” पर स्कूली बच्चों को रोके जाने के बाद अभिभावकों का पुलिस से विवाद हो चुका है। नैनी झील पर 200 पेज की किताब लिख चुके “पर्यावरणविद प्रो. जीएल साह” बताते हैं, कि हमेशा से ही लोअर माल रोड का यह हिस्सा भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील रहा है। 1885 के आसपास इस रोड का निर्माण हुआ था। उससे पहले यह रोड एक पतली पगडंडी थी। उस दौरान भूगर्भ “वैज्ञानिक आदहाम और हालैंड” ने अपनी रिपोर्ट में लोअर माल रोड की मिट्टी को भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील बताया था। तब रजपुरा कहे जाने वाले क्षेत्र में हैवी कंस्ट्रक्शन पूरी तरह से प्रतिबंधित था। अगर माल रोड को भूस्खलन से बचाना है, तो यहां चारपहिया वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए।