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नोटबंदी और आपके लिए है खास 14 दिसंबर का दिन

supreme_court_of_india_-_central_wingदेश में नोटबंदी की बहार है। इसी वजह से सभी लोग हाल बेहाल हैं। वहीं 14 दिसंबर को नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट क्‍या करता है

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्‍त रुख

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के  की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को एक बार फिर ये साफ किया कि वो आर्थिक नीति में बहुत ज़्यादा दखल नहीं देना चाहती लेकिन इतनी बड़ी संख्या में दायर याचिकाओं की वजह से पैदा हुए बड़े सवालों पर विस्तृत सुनवाई ज़रूरी है। कोर्ट 14 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में इन बातों पर विचार करेगा।

* लोगों को हो रही असुविधा को कम करने के लिए क्या फौरी उपाय हो सकते हैं? क्या हर हफ्ते 24 हज़ार रुपये निकालने की सीमा में बदलाव किया जा सकता है?

* ज़िला सहकारी बैंकों को फ़िलहाल पैसे जमा लेने की इजाज़त दी जा सकती है या नहीं?

* देश की अलग-अलग हाई कोर्ट में दायर मुकदमों को चलने दिया जाए या उन पर रोक लगा दी जाए?

* आगे की विस्तृत सुनवाई किन सवालों पर हो?

करीब डेढ़ घंटा चली सुनवाई

शुक्रवार को लगभग डेढ़ घंटा चली सुनवाई में कई बार माहौल गर्म होता नजर आया। कुछ वकीलों के ज़ोर से बोलने पर चीफ जस्टिस ने उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई। केरल और महाराष्ट्र के जिला सहकारी बैंकों के वकील पी चिदंबरम ने इन बैंकों का काम ठप हो जाने की दुहाई दी। चिदंबरम ने कहा इन बैंकों को न तो नोट बदलने की इजाज़त है, न नोट जमा लेने की। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। पूरे देश में ज़िला सहकारी बैंकों को काम करने की इजाज़त मिलनी चाहिए।

एटार्नी जनरल का बयान

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के एटॉर्नी जनरल ने कहा – ज़िला सहकारी बैंकों में बड़ी संख्या में किसान सोसाइटी के खाते हैं। ऐसी सोसाइटी में हज़ारों किसानों को सदस्य दिखाया जाता है। इस तरह की सोसाइटी पर प्रभावशाली लोगों का नियंत्रण होता है। इस बात की आशंका है कि हज़ारों किसानों का नाम लेकर बड़े लोगों के पैसे जमा होने लगेंगे। नकली नोट भी बड़े पैमाने पर जमा होंगे। इन बैंकों को अभी 20 दिन और इंतज़ार करना होगा।

नोटों के छपने की रफ्तार बहुत धीमी

कोऑपरेटिव बैंकों के वकील पी चिदंबरम ने दावा किया कि नोटों की छपने की रफ्तार बहुत धीमी है। सिर्फ 3 लाख करोड़ के नोट अब तक छपे हैं। ऐसे में, नोट की पूरी सप्लाई में 5 से 6 महीने का वक्त लगेगा. इसके जवाब में एटॉर्नी जनरल ने दावा किया कि 4 लाख करोड़ के नए नोट छप चुके हैं। इनमें से 3.5 बैंक में पहुंच चुके हैं। सरकार कैशलेस को बढ़ावा दे रही है. ज़रूरी नहीं कि पूरे नोट की ज़रूरत पड़े।

 

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