नोटबंदी का एक सालः बने 63 हजार नए क्रेडिट कार्ड, बैंकों की हुई चांदी
अगले हफ्ते नोटबंदी को लागू हुए एक साल पूरा हो जाएगा. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस एक साल के दौरान देश में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में तेजी देखने को मिली. आंकड़ों में ये तेजी नोटबंदी के दौरान कैश की किल्लत से बचने के लिए लोगों द्वारा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ाने के चलते हुई है.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी सितंबर 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक 1 सितंबर 2016 से 1 सितंबर 2017 तक देश में लोगों के क्रेडिट कार्ड का बकाया बिल 38.7 फीसदी बढ़ चुका है. आंकड़ों के मुताबिक बीते एक साल में (सितंबर तक) क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि 43 हजार 200 करोड़ रुपये से बढ़कर 59 हजार 900 करोड़ रुपये हो गई.
वहीं बीते दो साल के दौरान देश में क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों का बकाया 77.74 फीसदी बढ़ा है. गौरतलब है कि सितंबर 2015 तक यह बकाया राशि मात्र 33 हजार 700 करोड़ रुपये थी. नोटबंदी के बाद यह राशि लगभग 78 फीसदी बढ़कर 59 हजार 900 करोड़ रुपये हो गई.
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केंद्र सरकार ने बीते साल 8 नवंबर को देश में नोटबंदी का ऐलान करते हुए अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया था. इसके चलते पूरे देश में वित्त वर्ष 2016-17 की नवंबर से लेकर जनवरी तक भारी कैश की किल्लत देखने को मिली थी.
आरबीआई आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2016 से लेकर अगस्त 2017 तक देश में क्रेडिट कार्ड की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है. इस दौरान क्रेडिट कार्ड 2 करोड़ 63 लाख 90 हजार से बढ़कर 3 करोड़ 26 लाख 50 हजार हो गए. आमतौर पर देश में बैंक क्रेडिट कार्ड के बकाए राशि पर 3.49 फीसदी प्रति माह ब्याज लगाते हैं जो कि तकरीबन 42 फीसदी प्रति वर्ष बनता है.
साफ है कि 59 हजार 900 करोड़ रुपये के क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि पर बैंकों को एक महीने में 2 हजार 90 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी. इसके अलावा इस राशि पर 18 फीसदी की दर से बैंक जीएसटी भी लगाएगा. गौरतलब है कि बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि पर ब्याज अधिक रहता है जिससे लोगों में क्रेडिट कार्ड के भुगतान को लेकर शिथिलता न रहे.