फीचर्डराष्ट्रीय

नोटबंदी की जंग ने तोड़ी नक्सलियों और आतंकवादियों की कमर

नोटबंदी को एक साल पूरा होने के साथ बहस छिड़ी है कि देश ने क्या खोया और क्या पाया. सरकार जहां फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए अपनी पीठ ठोंकते नहीं थक रही. वहीं विपक्ष नोटबंदी को ‘सदी का सबसे बड़ा घोटाला’ बताते हुए 8 नवंबर को ‘काला दिवस’ मनाने की तैयारी कर रहा है. इसी बहस के बीच एक फ्रंट जरूर ऐसा है जहां नोटबंदी के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. ये है सुरक्षा का फ्रंट. नोटबंदी में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने से नक्सलियों, आतंकवादियों और हवाला कारोबारियों की कमर जरूर बुरी तरह टूटी है.

नोटबंदी की जंग ने तोड़ी नक्सलियों और आतंकवादियों की कमर

नोटबंदी ने फंडिंग की चेन तोड़कर नक्सलियों को कंगाल बना दिया है. वहीं ऐसी भी रिपोर्ट है कि टेरर फंडिंग पर नोटबंदी से करारी चोट पहुंचने से आतंकवादी भी बौखलाहट में लुटेरे बन गए और दर्जन भर से ज्यादा बैंक लूट की घटनाओं को अंजाम दे डाला. नोटबंदी का अच्छा परिणाम ये भी देखने को मिला कि कश्मीर में पिछले साल के मुकाबले पत्थरबाजी की घटनाओं में काफी कमी आई है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक बीते साल घाटी में पत्थरबाजी की 2800 घटनाएं हुई थीं.

वहीं मौजूदा साल में अब तक ऐसी 600 घटनाएं ही देखने को मिलीं. पहले ये देखा जाता था कि जब भी कोई आतंकी मारा जाता तो पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ जाती थीं. लेकिन मौजूदा साल में अब तक 198 आतंकियों को सुरक्षा बलों ने ढेर किया है, फिर भी पत्थरबाजी की घटनाओं में आश्चर्यजनक ढंग से कमी आई है. जाहिर है ऐसी स्थिति लाने में नोटबंदी का खासा असर रहा.

केंद्र सरकार का दावा है कि क्वेटा और कराची में पाकिस्तान की सरकारी प्रिटिंग प्रेसों में भारत के नकली करेंसी नोट छापने का जो नापाक खेल चलता था, वो नोटबंदी से चौपट हो गया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर के मुताबिक नोटबंदी से आतंकियों की फंडिंग पर लगाम लगी है. वहीं कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आई है. हंसराज अहीर का दावा है कि नोटबंदी की वजह से आतंकी घटनाओं में 25 से 30 फीसदी कमी आई है. टेरर फंडिंग की चेन टूटने से आतंकियों के पास पैसों का इतना टोटा हुआ कि कुछ आतंकवादी बैंक लूट की घटनाओं को ही अंजाम देने लगे.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर के मुताबिक नोटबंदी का ये असर भी रहा कि नक्सलियों को खाने के लाले पड़ गए. नक्सलियों ने जो अवैध धन इकट्ठा कर रखा था वो सब रद्दी हो गया. सुरक्षा मामलों के जानकार पी के सहगल का भी मानना है कि नोटबंदी की वजह से नक्सली संगठनों का पूरा आर्थिक ढांचा चरमरा गया है. उनके पास बड़ी मात्रा में नकदी थी जो 500 और 1000 के नोट बंद होते ही मिट्टी में मिल गई.

सुरक्षा बलों ने इसी दौरान ऑपरेशन प्रहार चलाकर नक्सलियों पर दोहरी मार की. 1700 नक्सली पकडे गए और 600 ने सरेंडर किया. इसी दौरान सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान 130 नक्सलियों को मार गिराया गया. ऐसी भी घटनाएं सामने आईं जहां नक्सलियों ने तेंदू पत्ता और वसूली से जो पैसा जमीन में गाड़ रखा था उसे जब्त किया गया. नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर परिणाम को लेकर बेशक बहस छिड़ी हो लेकिन नक्सलवाद और आतंकवाद से लड़ाई के मोर्चे पर ये फैसला जरूर कारगर रहा है.

Related Articles

Back to top button