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नोटबंदी के बाद देश में सबसे बड़ा सर्वे

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नईदिल्ली: काले धन के खिलाफ मोदी सरकार ने बड़े NOTE BAN का फैसला क्या लिया कि कोहराम मच गया। सड़कों पर आम लोगों की लंबी लाइनें लग गईं। तो नेता सड़क पर मार्च करने लगे।

राजनीतिक दलों ने इसे आर्थिक आपातकाल करार दे दिया। छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में हालात सामान्य होने में थोड़ा और वक्त लगेगा लेकिन शहरों में स्थिति अब थोड़ा नियंत्रण में आ गई है।
 
विपक्ष के कुतर्क
बावजूद इसके विपक्ष आक्रामक है और फैसला वापस लेने तक के कुतर्क कर रहा है। पर जनता उनका साथ नहीं दे रही है। देश की 85 फीसद सामान्य जनता नरेंद्र दामोदर दास मोदी सरकार के फैसले से खुश है। जबकि संसद से सड़क तक विरोध कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती को आगाह भी किया है। जनता इन नेताओं के विरोध को खारिज करती है।
 
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 हुआ सर्वे
एक सर्वे एजेंसी लोगों की नब्ज परखी। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ, विजयवाड़ा जैसे शहरों व आसपास के गांवों में अलग-अलग वर्ग में 825 लोगों से संपर्क साधा गया। इसमें 18-25 आयु वर्ग के लोगों की मौजूदगी सबसे ज्यादा थी। पिछले दो दिनों में दिल्ली की राजनीति सिर्फ नोटबंदी के आसपास घूमती रही।
 
85 फीसदी जनता मोदी के साथ
संसद की कार्यवाही भी स्थगित रही। एजेंसी ने राजनीतिक रूप से गर्म रहे 17-18 नवंबर को ही सर्वे के लिए चुना। खुद जनता से सवाल किया और जो उत्तर आए वह विपक्षी दलों को परेशान कर सकते हैं। एमडीआरए के प्रशिक्षित लोगों ने मेट्रो, नॉन मेट्रो और ग्रामीण इलाकों की नब्ज टटोली। सीधे सवाल पूछे और लगभग 85 फीसद ने केंद्र की मोदी सरकार को पूरे नंबर दिए।
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क्या सवाल पूछे गए
सात सवाल पूछे गए जिसमें काले धन पर लगाम, गरीबी उन्मूलन, सभी परेशानियों के बावजूद इस फैसले के पक्ष में होने या न होने, महंगाई घटने जैसे प्रश्न तो थे ही। यह भी जानने की कोशिश हुई कि इसका राजनीतिक नफा-नुकसान क्या होगा? जनता ने खुलकर मोदी के पक्ष में वोट दिया। बड़ी बात यह दिखी कि फैसले को लेकर जनता में असमंजस नहीं है। वह या तो हर मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ी है या फिर विरोध में है।
 

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