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नोटबंदी ने आतंकवाद पर लगाया लगाम, कश्मीर में 60 प्रतिशत घटी हिंसा!

कालेधन और आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत को बड़ी सफलता मिलती दिख रही है। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद, कालेधन और जाली नोटों पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया। इस फैसले के बाद से पाकिस्तान में जाली नोट छापने वाली दो बड़ी प्रेस कारखाने को बंद होना पड़ा। साथ ही घाटी समेत देश के दूसरे हिस्सों में आतंकवाद की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है।
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इकॉनामिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, नोटबंदी के फैसले का राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर का जांच कर रही जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी केंद्र सरकार के साथ साझा की।
जांच एजेंसी के साथ जुड़े एक अफसर ने बताया कि, ‘पाकिस्तान, क्वेटा में स्थित अपने एक सरकारी प्रेस में जाली भारतीय नोट छापता था। इसके अलावा कराटी के एक प्रेस में भी जाली भारतीय नोट छापा जाता था। नोटबंदी के इन दोनों प्रेस के पास बंद होने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा।’ 
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी ने आंतकवाद व नक्सलवाद की कमरतोड़ कर रख दी है। नोटबंदी के बाद आतंकियों को मिलने बाले पैसे बंद हो गए हैं, जिसके बाद घाटी में पत्थरबाजी और आतंकवादी हिंसा से जुड़ी घटनाओं में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 

विदेशों से पैसे भेजने में आई 50 फीसदी की गिरावट

आतंकवाद के साथ ही नोटबंदी, नक्सलवाद पर भी लगाम लगाने में काफी हद तक सफल हुआ है। नक्सली गतविधियों में गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही विदेशों से हवाला के जरिए भेजे जाने वाले पैसों में भी 50 प्रतिशत की कमी आई है।

बता दें कि 8 नवंबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों के बंद होने की घोषणा की थी। अधिकारियों ने बताया कि भारत में ज्यादातर जाली नोट 500 और 1000 के नोटों के रुप में थी। इन जाली नोटों से आतंकियों को फंडिग किए जाने की भी रिपोर्ट थी।   

पूरे देश में नोटबंदी का असर जानने के लिए सभी राज्यों से जानकारी ली गई। खास तौर पर संवेदनशील राज्यों के जिलों से भी सूचनाएं मांगी गईं। एजेंसियों की पड़ताल के निष्कर्षों के हवाले से अफसरों ने बताया, ‘छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा झारखंड में बड़े माओवादी नेता पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाने के लिए लोगों की मदद मांगते नजर आए। उन पर बड़े पैमाने पर सरेंडर करने का दबाव है।’

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