नोबेल पुरस्कार समारोह में असम की चाय की महक
स्टॉकहोम: इस साल के नोबेल पुरस्कार समारोह से असम का भी एक खास संबंध है। दरअसल समारोह के भव्य भोज में जो खास चाय परोसी जा रही है, वह भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्य असम से लाई गई है। यह पहली बार है, जब नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल के सम्मान में तैयार म्यूजियम टी ब्लेंड भी नोबेल समारोह के भोज का हिस्सा होगा। चाय का यह ब्लेंड (मिश्रण) असम की चाय और चीन की कीमुन चाय को मिलाकर बनाया जाएगा। नोबेल म्यूजियम ने इस खास चाय के बारे में कहा, अल्फ्रेड नोबेल के सम्मान में हमने चाय का एक खास मिश्रण तैयार किया है। यह मिश्रण चीन की कीमुन चाय पर आधारित है, जिसका उत्पादन अन्हुई प्रांत में होता है। इसे भारत की असम की चाय के साथ मिश्रित किया जाएगा। इस चाय का रंग बहुत खूबसूरत और खुशबू बहुत प्यारी होती है। नोबेल म्यूजियम ने कहा, चाय में इटली की बेर्गामोट, स्वीडन की रसभरी की मिठास और संतरे का ताजा स्वाद डाला गया है। इसे एक वास्तविक वैश्विक मिश्रण बनाया गया है। नोबेल म्यूजियम टी ब्लेंड चाय विशेषज्ञों वेरनोन मॉरिस के साथ समन्वय से तैयार किया गया है और इसे नोबेल म्यूजियम में खास तौर पर बेचा भी जा रहा है। असम वार्षिक तौर पर 62 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन करता है, जो भारत के कुल चाय उत्पादन का लगभग 52 प्रतिशत है।
नोबेल समारोह में चाय का यह मिश्रण ऐसे समय पर आया है, जब असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई असम की चाय के उपभोग और प्रचार को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय पेय का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। उपरी असम के पांच जिले गोलाघाट, जोरहाट, शिवसागर, डिब्रूगढ़ और तिनसुखिया ही वार्षिक तौर पर 40 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन कर लेते हैं। असम की सरकार पहले ही इसे राज्य का आधिकारिक सरकारी पेय घोषित कर चुकी है। उसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में शिरकत करके असम की चाय को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ब्रांड के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए हैं। एजेंसी