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नौकरियाेें की भरमार के लिए मोदी सरकार ने बदली स्‍टार्टअप की परिभाषा

यंग एंटरप्रेन्‍योर के लिए खुशखबरी है. सरकार ने स्‍टार्टअप की परिभाषा बदल दी है. स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान के तहत मिलने वाले फायदों के लिए अब सात साल तक के पुराने कारोबार भी योग्य होंगे। अभी तक यह सीमा पांच साल थी. सरकार के इस कदम से अब अधिक संख्‍या में एंटरप्रेन्‍योर इनकम टैक्स और कैपिटल गेंस टैक्स समेत कई तरह की कर छूटों का लाभ लेने में सक्षम होंगे. सरकार ने इनकम टैक्‍स का लाभ लेने से जुड़े नियमों को भी पहले से लचीला बना दिया है. इससे एंटरप्रेन्‍योरशि‍प को बढ़ावा मिलेगा और नए जॉब का क्रिएशन होगा.

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नौकरियाेें की भरमार के लिए मोदी सरकार ने बदली स्‍टार्टअप की परिभाषाक्‍यों बदलनी पड़ी परिभाषा
स्‍टार्टअप सरकार की प्राथमिकता सूची में है. इससे इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है और रोजगार के नए अवसर निकलकर सामने आते हैं. चूंकि जॉब क्रिएशन के फ्रंट पर सरकारी प्रयास लगातार नाकाफी साबित हो रहे हैं, ऐसे में स्‍टार्टअप को बढ़ावा देना उसके लिए जरूरी हो गया था. वैसे स्‍टार्टअप इंडिया स्कीम भी कुल मिलाकर फ्लॉप शॉ ही साबित हुई है, ऐसे में सरकार के लिए इसमें तब्‍दीली करना जरूरी भी गया था.
किसे होगा फायदा

 अभी इस स्‍कीम के तहत पांच साल तक के स्‍टार्टअप को कर छूट समेत कई तरह के फायदे मिल रहे थे. लेकिन जो स्‍टार्टअप पांच साल से अधिक होने जा रहे थे, उन्‍हें चिंता सताने लगी थी. इसके अलावा बड़ी संख्‍या में स्‍टार्टअप पांच साल वाली सीमा से या तो बाहर हो गए थे, या फिर होने जा रहे थे. अब उन्‍हें भी इसका लाभ होगा. हालांकि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए यह समयावधि 10 वर्ष है.

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टर्नओवर  की क्‍या है सीमा
ऐसी कंपनी को स्टार्टअप माना जाता है जिसका सालाना कारोबार 25 करोड़ रुपए से कम हो. स्टार्टअप के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रोमोशन प्रस्ताव तैयार करता है. इसके लिए संबंधित मंत्रालयों से सलाह-मशविरा किया जाता है.
किस तरह के लाभ मिलते हैं
लेकिन इसकी शर्तें इतनी कठोर हैं कि पहले साल सिर्फ 142 आवेदन आए और उनमें भी महज 10 को टैक्स छूट का फायदा मिला। अब सरकार पॉलिसी में ढील देकर इसमें और तेजी लाना चाहती है.

 

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