नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण कैसे देगी सरकार, जब हर साल घट रहा है रोजगार
केंद्रीय बजट 2018-19 में घोषित केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या में 1 मार्च, 2014 की तुलना में 75,231 की कमी आई है। हर साल बजट में सरकार अनुमानित कर्मचारियों की घोषणा करती है। यह भी बताती है कि पिछले साल यह संख्या कितनी थी और अगले साल कितनी रहेगी। 2018-19 के बजट के अनुसार कर्मचारियों की वास्तविक संख्या 32.52 लाख है, जिसमें भारतीय रेलवे शामिल है लेकिन रक्षा सेवा नहीं। इसमें 55 मंत्रालय और विभाग शामिल हैं। इसमें 75,231 कर्मियों की कमी आई है। पहले यह संख्या 1 मार्च, 2014 में 33.3 लाख थी।
हर साल वादे के अनुसार 2018-19 के बजट में कर्मचारियों की संख्या को 35 लाख से ऊपर बताया गया था यानी 2.50 लाख नौकरियां पैदा की जानी थी। पिछले चार सालों से सरकार हर साल 2 लाख के अतिरिक्त कर्मचारियों को जोड़ना चाहती है। हालांकि केंद्रीय कर्मचारियों की असल संख्या घटती जा रही है। कर्मचारियों की संख्या घटने का प्रमुख कारण कांट्रैक्टर के जरिए भर्ती करना है। जिसमें सपोर्ट स्टाफ जैसे चपरासी और ड्राइवर शामिल हैं।
कई सालों से सेवानिवृत्त हुए लोगों की जगह नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। इसके बजाए कई मामलों में उन्हें पेंशन मिलने के बावजूद कंसल्टेंट के तौर पर उनकी दोबारा नियुक्ति की गई है। मैनपावर (श्रमशक्ति) के मामले में भारतीय रेलवे की हालत बहुत खराब है। उसका मैनपावर 2018 में 2010 के स्तर पर पहुंच गया था। 2017 में उसके 23,000 कर्मचारियों की छंटाई की गई थी। 2016 मे जहां उसके पास 13.31 लाख कर्मचारी थे वहीं अब 13.08 लाख हैं। पिछले बजट में सरकार ने रेलवे के मैनपावर को बढ़ाने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया था।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 2.50 लाख नौकरियां कहां से आएंगी? सरकार के अनुमान के अनुसार नौकरियां पुलिस बलों (सेंट्रल पैरामिलिट्री) में पैदा की जाएंगी। उनकी संख्या को 10.24 लाख से 11.25 लाख किया जाएगा। माना जा रहा है कि प्रत्यक्ष कर विभाग के कर्मचारियों की संख्या 45,000 से 80,000 हो जाएगी। इसके अलावा अप्रत्यक्ष कर विभाग जिसमें कस्टम और सेंट्रल एक्साइज आता है उसके कर्मियों की संख्या 54,000 से बढ़कर 93,000 की जाएगी।