जीवनशैलीस्वास्थ्य

न दाल, न चीनी – फिर भी ‘दालचीनी’

जय प्रकाश मानस

न ही यह दाल है, न ही इसमें कुछ चीनी लेकिन नाम है दालचीनी ।

जी हाँ आपके-हमारे-सबके घरों के मसालों की महारानी – दालचीनी ।

दालचीनी – आयुर्वेद जिसका गुण गाते नहीं थकता । इसे प्राचीन समय से ही सेहत और सौंदर्य दोनों के लिए बहुत उपयोगी माना गया है । दालचीनी मधुमेह को सन्तुलित करने के लिए एक प्रभावी औषधि है इसलिए इसे ग़रीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं । दालचीनी और शहद के मिश्रण यानी सोने पर सुहागा । आजमा कर देख सकते हैं । दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक और जीवाणुरोधी है ।

दालचीनी के अन्य नामों में तवाक, लवानगमू, डालोचाइनी आदि हैं। चलिए दालचीनी से जुड़ी एक और रोचक बात भी बताते चलता हूँ :

डेनमार्क में एक विचित्र परंपरा है । 16 वीं सदी से चली आ रही है । यदि यहाँ कोई 25 साल तक अविवाहित रहता है तो उसके 25 वें जन्मदिन पर मित्रगण उसे दालचीनी के पाउडर मिले पानी से उसे नहलाते हैं ।

तो आप जब कभी चेरापूँजी जायें, दालचीनी ख़रीदना न भूलें; हम तो ख़रीद लाये !

( चेरापूँजी में एक दिन)

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