अद्धयात्म

पंचांगः ये हैं रविवार के शुभ मुहूर्त, सफल होंगे शुभ काम

shubh-550bf3f9d4c2a_lदस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्लीः 18 अक्टूबर 2015 को रविवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: दक्षिण, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु. मास: मुहर्रम-4, ऋतु: शरद्, मास: आश्विन, पक्ष: शुक्ल है।

शुभ तिथि

पंचमी पूर्णा संज्ञक तिथि दोपहर बाद 2.19 तक, तदन्तर षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। पंचमी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य- विवाह, जनेऊ, प्रतिष्ठा, पौष्टिक, वास्तु, यात्रा तथा अन्य स्थिर व चंचल कार्य सिद्ध होते हैं।

किन्तु कर्ज देना अच्छा नहीं होता। षष्ठी तिथि में काठ की दातुन, यात्रा, उबटन तथा चित्रकारी को छोड़कर युद्ध, वास्तु, अलंकार व अन्य मांगलिक कार्य शुभ कहे गए हैं। पंचमी तिथि में जन्मा जातक धनी, कलाकुशल, अच्छा व्यापारी, पराक्रमी, माता-पिता का आज्ञाकारी, परोपकारी और धर्मपरायण होता है।

नक्षत्र

ज्येष्ठा ‘तीक्ष्ण व तिङ्र्यंमुखÓ संज्ञक नक्षत्र दोपहर बाद 1.13 तक, तदन्तर मूल ‘तीक्ष्ण व अधोमुखÓ संज्ञक नक्षत्र रहेगा। ज्येष्ठा नक्षत्र में यथाआवश्यक शत्रुमर्दन, बन्धन, भेद, प्रहार, लोहा, कारीगरी, स्नेहविधि (अर्क-तेलादि बनाना), अक्षरारम्भ व चित्र सम्बन्धी कार्य करने योग्य हैं।

मूल नक्षत्र में वन, बाग, तड़ाग, कुआ, कृषि, पुंसवन, जलपूजन, यज्ञोपवीत, विद्यारम्भ, वास्तुशान्ति, वधूप्रवेश, द्विरागमन आदि विषयक समस्त कार्य शुभ रहते हैं। ज्येष्ठा और मूल दोनों ही गण्डान्त मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: इन नक्षत्रों में जन्मे जातकों के संभावित अरिष्ट निवारण हेतु आगे 27 दिन बाद जब इन नक्षत्रों की पुनरावृत्ति हो, उस दिन नक्षत्र शान्ति करा देना जातकों के हित में होगा।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मा जातक बड़ा चतुर, होशियार, छिद्रान्वेषी, आलोचक, बुद्धिमान, कला का शौकीन, क्रोधी, कामासक्त व कलहप्रद होता है। इनके 13-27-31 व 49वां वर्ष स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते।

योग

शोभन नामक नैसर्गिक शुभ योग रात्रि 11.56 तक, तदन्तर अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग रहेगा। अतिगंड नामक योग की प्रथम छ: घटी शुभ कार्यों में त्याज्य मानी गई है।

विशिष्ट योग

सर्वार्थ सिद्धि  नामक शुभ योग दोपहर 1.13 से सूर्योदय तक तथा दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग दोपहर बाद 1.13 से प्रारम्भ।

करण

बालव नाम करण दोपहर बाद 2.19 तक, तदुपरान्त कौलवादि करण रहेंगे।

चंद्रमा

दोपहर बाद 1.13 तक वृश्चिक राशि में इसके बाद धनु राशि में रहेगा।

व्रतोत्सव

संक्रान्ति पुण्य काल प्रात: काल में, नतपंचमी (उड़ीसा में), सरस्वती आह्वान, दोपहर बाद 1.13 से।

शुभ मुहूर्त

उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार रविवार को मूल नक्षत्र में विवाह (द्विगर्त प्रदेशीय) का शुभ मुहूर्त हैं।

वारकृत्य कार्य

रविवार को सामान्यत: पदारूढ़ होना, गाना, बजाना, उत्सव, यात्रा (वायुयान से) नौकरी, पशु क्रय-विक्रय, अस्त्र-शस्त्र व्यवहार, सोना-ताम्बा, ऊन, काष्ठ, सम्बन्धी कार्य, व्यापार व न्याय से सम्बन्धित सभी कार्य करने योग्य हैं।

 

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