मास्टर रणजीत सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल हुए गांव वासियों, सगे सबंधियों की आंखों से निकल रहे आंसू ब्यान कर रहे थे कि जरूरी नहीं बेटे ही हर फर्ज निभा सकते हैं, बेटियां भी निभा सकती हैं, जरूरत बस नजरिये को बदलने की है।
मा. रणजीत सिंह के सबसे करीबी दोस्तों में शामिल पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर दर्शन सिंह ने बताया कि मास्टर रणजीत सिंह खुद में एक मिसाल थे। जिन्होंने पोस्ट-ग्रेजुएशन कर कुरड़ का नाम शिक्षित गांवों की सूची में शामिल किया।
मा. रणजीत सिंह ने अपनी बेटियों को भी अपने-अपने पांव पर खड़ा होने के लिए हर तरह की उच्च-तालीम दी, ताकि लड़कों व लड़कियों का भेदभाव दूर हो सके और परिवार में लड़का होने की कमी न खलती रहे।