पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर प्रणब मुखर्जी, मनमोहन और सोनिया ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर बृहस्पतिवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुखर्जी, अंसारी, सिंह और सोनिया सुबह नेहरू के समाधि स्थल शांति वन पहुंचे और उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं, सांसदों एवं कार्यकर्ताओं ने भी नेहरू को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा कि ‘हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि’।
पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी के पुत्र जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और 1964 में निधन तक वह इस पद पर रहे। नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 1964 में नेहरू के निधन के बाद सर्वसहमति से यह फैसला लिया गया कि जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाए। भारत में 14 नवंबर को स्कूलों में तरह-तरह की मजेदार गतिविधियां, फैंसी ड्रेस कॉम्पटीशन और मेलों का आयोजन होता है।
आइए उनके शिक्षा के बारे में जानते हैं-
शुरुआती पढ़ाई घर पर हुई
जवाहरलाल नेहरू की शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने उन्हें ट्यूटर्स की मदद से घर पर ही पढ़ाया। एक ट्यूटर, फर्डिनेंड टी ब्रुक्स के प्रभाव में वह विज्ञान और थियोसोफी में रुचि रखने लगे थे। फिर 1905 में इंग्लैंड के प्रमुख स्कूल हैरो से उनकी संस्थागत स्कूली शिक्षा शुरू हुई।
ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से हासिल की डिग्री
अक्तूबर 1907 में वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और 1910 में प्रकृति विज्ञान में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसी दौरान उन्होंने पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स, इतिहास और साहित्य निरर्थक को भी पढ़ा। इससे उनकी राजनीतिक और आर्थिक समझ बेहतर हुई।
लंदन में कानून की पढ़ाई की
साल 1910 में डिग्री पूरी करने के बाद, नेहरू कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदर चले गए। उन्होंने वहां इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई की। अगस्त 1912 में वह भारत लौटे और खुद को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया। इसके बाद नेहरू ने बतौर बैरिस्टर काम करने की कोशिश की।
लेकिन, अपने पिता के विपरीत, उन्होंने अपने पेशे में कम दिलचस्पी दिखाई और राष्ट्रीय राजनीति में रुचि लेने लगे। राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भागीदारी ने धीरे-धीरे उनके कानूनी व्यवहार की जगह ले ली थी। दरअसल नेहरू ने एक छात्र और बैरिस्टर के रूप में ब्रिटेन में ही भारतीय राजनीति में रुचि विकसित की थी।