पतरातू की घाटी में प्रकृति की मनोरम छटा सुकून देती है

लाल फूलों से लदे पेड़, हरीतिमा की चादर में लिपटी बादलों से अठखेलियां करती पतरातू घाटी। प्रकृति का ऐसा सुंदर दृश्य कि जहां तक नजर जाए आंखों को सुकून का एहसास कराए।
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर पतरातू बेहद खूबसूरत घाटी है। यह समुद्र तल से 1328 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। घाटी के चारों तरफ हरियाली, मोहक फूलों की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। यह घाटी गंगटोक, देहरादून, मसूरी की तरह ही बेहद आकर्षक है।यहां बर्फ की चादर नहीं बिछती, लेकिन पूरी घाटी हरीतिमा की चादर ओढ़े लहलहाती है। मोहक फूल इस घाटी की धड़कन हैं। रास्ते में नदी और झरने की मधुर ध्वनि संगीतमय वातावरण बनाती है। आपको यह सब देखकर विश्वास ही नहीं होगा कि रांची के करीब इतनी अच्छी लोकेशन भी हो सकती है।
घुमावदार रास्ते
घुमावदार रास्तों से होते हुए पतरातू जलाशय तक पहुंचने के लिए नई खूबसरतसड़क का सफर अत्यंत रोमांचित करता है। सड़क के दोनों ओरहरी-भरी छटा से झारखंड (झार-जंगल, खंड-हिस्सा) नाम सार्थक होताप्रतीत होता है। रांची से पौन घंटे सीधी सपाट सड़क पर चलने के बाद घाटी का घुमावदार रास्ता शुरू होता है। इन घूमते मोड़ों से होते हुए सखुआ, साल और बांस के जंगल को पार कर लाल, बैंगनी और अनेक रंग के फूलों से लदे वृक्ष पर्यटकों को बाहों में भरते प्रतीत होते हैं। इस आकर्षक घाटी को पार कर घाटी के शिखर का दृश्य घनेरे बादलों से अठखेलियां करता प्रतीत होता है। इसीलिए अगर आप चाहें, तो दौड़-भागसे दूर प्रकृति के करीब और शांत जगह में कुछ अच्छा समय गुजार सकते हैं।
जलधारा भरती है रोमांच
सूरज की किरणों के फैलते ही झील के किनारे प्रकृति की खूबसूरती को निहारने का आनंद ही कुछ और है। तटबंध के किनारे कुछ दूर चलने पर बांध के दरवाजे दिखाई देते हैं। जहां तटबंध पर खड़े होकर पानी की गहरी नीली जलधारा खामोशी को तोड़ दिल में एक अलग रोमांच पैदा करती है। जलाशय के किनारे एक-दूसरे से सटी हुई कई छोटी-छोटी पहाड़ियां टुकुर-टुकुर निहारती-सी प्रतीत होती है। यहां झुंड के झुंड लोग नाव पर बैठने के लिए आतुर दिखाई देते हैं। पतरातू की घाटी में प्रकृति की मनोरम छटा सुकून देती है।