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पत्नी को आेरेल सेक्स के लिए मजबूर कर रहा डाक्टर पति, कोर्ट पहुंची पीड़िता


नई दिल्ली : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाली धारा 377 पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। फैसले सुरक्षित रखने के एक दिन बाद ही एक महिला ने अपने डाक्टर पति के खिलाफ धारा 377 के तहत याचिका दायर की है। महिला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि शादी के चार सालों के दौरान उसके पति ने उसके साथ जबरदस्ती ‘अप्राकृतिक’ मौखिक (ओरल) सेक्स किया है।

महिला ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है उसके पति को ऐसा करने से रोकने के लिए कड़े प्रावधान लाए जाएं। पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी शादी 2014 में डाक्टर से हुई थी, जबकि उसकी सगाई साल 2002 में ही हो गई थी, जब वह महज 15 साल की थी। महिला की वकील अपर्णा भट्ट ने उसके पति पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने जबरदस्ती पीडि़ता के साथ मौखिक सेक्स किया, जो ‘प्रकृति के आदेश के खिलाफ सेक्स’ है। महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रामना और जस्टिस एमएम शांतनागौदर ने आरोपी पति को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि धारा-377 की वैधता का मामला पहले से ही जटिल परिस्थिति में है, ऐसे में महिला की ये याचिका मामले को और भी कठिन बना सकती है। आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।

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