पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या मामले में 21 सऊदी अफसरों का वीजा रद्द करेगा अमेरिका
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/10/Untitled-17-1.png)
वॉशिंगटन : पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिका ने पहली बार सऊदी अरब पर कड़ी कार्रवाई की है। अमेरिका ने कहा है कि हत्या में शामिल रहे सऊदी अफसरों का अमेरिकी वीजा खत्म किया जाएगा। वीजा खत्म करने की कार्रवाई तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तयिप एर्दोगान के दावे के बाद की गई। एर्दोगान ने कहा था कि खशोगी की हत्या की सऊदी दूतावास में ही की गई थी। इसकी साजिश बीते 28 सितंबर को रची गई। पत्रकार खशोगी के शव के टुकड़े इस्तांबुल स्थित सऊदी राजदूत के घर में बगीचे से बरामद हुए थे। उनकी बीते 2 अक्टूबर को इस्तांबुल स्थित सऊदी काउंसलेट में हत्या हुई थी, खशोगी अमेरिका से प्रकाशित समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट में कार्यरत थे। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि हमने 21 सऊदी अफसरों की पहचान की है, जिनका वीजा खत्म किया जाएगा और फिर भविष्य में कभी जारी नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ये प्रतिबंध कोई अंतिम कार्रवाई नहीं है। आगे और खुलासे होने पर हम अन्य कदम उठाएंगे। एक जर्नलिस्ट के खिलाफ हिंसा को अमेरिका बर्दाश्त नहीं करेगा। तुर्की के राष्ट्रपति का कहना है कि इस मर्डर को अंजाम देने के लिए सऊदी से 15 सदस्यों की एक टीम 2 अक्टूबर को ही इस्तांबुल आई थी। एर्दोगन ने इस मामले को ‘राजनीतिक हत्या’ करार दिया। उन्होंने कहा कि तुर्की की सिक्योरिटी सर्विस के पास इसके पर्याप्त सबूत भी हैं। खशोगी तुर्की में रहने वाली अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करना चाहते थे। इसके लिए जरूरी कागजी कार्यवाही करने वे 2 अक्टूबर को इस्तांबुल स्थित सऊदी काउंसलेट गए थे, जिसके बाद लापता हो गए। 20 अक्टूबर को सऊदी ने पूछताछ के दौरान खशोगी की हत्या होने की बात कबूल की थी। तुर्की के अखबार हुर्रियत डेली न्यूज के मुताबिक, एर्दोगन ने कहा कि खशोगी सऊदी के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की आलोचना करते थे। इस वजह से उनकी हत्या की गई। दूसरे देशों को भी इस मामले की जांच में शामिल होना चाहिए। तुर्की के जांच अधिकारियों ने बताया कि 28 सितंबर को खशोगी इस्तांबुल पहुंचे थे और सऊदी काउंसलेट गए थे। वहां उन्हें 2 अक्टूबर को आने के लिए कहा गया। राष्ट्रपति एर्दोगन का दावा है कि सऊदी ने पत्रकार की हत्या की साजिश 28 सितंबर को ही रच ली थी। बीते एक अक्टूबर को सऊदी के तीन नागरिक इस्तांबुल आए। वहीं, 2 अक्टूबर को 15 लोगों का एक और ग्रुप इस्तांबुल आया और सऊदी काउंसलेट चला गया। जांच में सामने आया है कि सऊदी से आए नए दल ने काउंसलेट में लगे सिक्योरिटी कैमरों की हार्ड डिस्क निकाल दी थी। 2 अक्टूबर को दोपहर के वक्त खशोगी काउंसलेट में गए और दोबारा नजर नहीं आए, जबकि उनकी मंगेतर काउंसलेट के बाहर ही रात 1 बजे तक इंतजार कर रही थीं। हालांकि, सऊदी अरब के अधिकारी पत्रकार के बारे में जानकारी होने से लगातार इनकार करते रहे। एर्दोगन ने कहा कि मैंने बीते 14 अक्टूबर को सऊदी के किंग सलमान से जांच के लिए संयुक्त टीम बनाने के लिए कहा, जिससे हमारे अधिकारी दूतावास के अंदर जा सकें। 17 दिन बाद सऊदी अरब ने कबूल किया कि काउंसलेट में खशोगी की हत्या हो गई थी। तुर्की के राष्ट्रपति के अनुसार, हमने हत्या में शामिल सऊदी के 18 सदस्यीय दल का खुलासा किया था। उन लोगों को अब सऊदी में गिरफ्तार कर लिया गया। सबूतों और जानकारी से पता चलता है कि खशोगी को काफी बेरहमी से मारा गया। सऊदी अरब के किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने मंगलवार को रियाद में वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार खशोगी के परिजनों से मुलाकात की।